HI/681108c प्रवचन - श्रील प्रभुपाद लॉस एंजेलेस में अपनी अमृतवाणी व्यक्त करते हैं: Difference between revisions
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:तरोर अपि सहिष्णुना | :तरोर अपि सहिष्णुना | ||
:([[Vanisource:CC Adi 17.31|श्री चैतन्य चरितामृत आदिलीला १७.३१]]) | :([[Vanisource:CC Adi 17.31|श्री चैतन्य चरितामृत आदिलीला १७.३१]]) | ||
कौन योग्य है हरे कृष्ण गुणगान करने के लिए ? वे परिभाषा दे रहे हैं। क्या है वह? तृणाद अपि सुनीचेन: घास से भी विनम्र। तुम जानते हो घास को, हर कोई घास के ऊपर रौंदता है, किन्तु वह प्रतिवाद नहीं करती - " ठीक है।" तो तृणाद अपि सुनीचेन: व्यक्ति को घास से भी (अधिक) विनम्र होना चाहिए। और तरोर अपि सहिष्णुना... तरोर मायने " वृक्ष ।" वृक्ष बहुत सहिष्णु होते हैं, सहिष्णुता के आदर्श, हज़ारों वर्ष खड़े, एक स्थान (पर), (कोई) प्रतिवाद नहीं करते।"|Vanisource:681108 - Lecture | कौन योग्य है हरे कृष्ण गुणगान करने के लिए ? वे परिभाषा दे रहे हैं। क्या है वह? तृणाद अपि सुनीचेन: घास से भी विनम्र। तुम जानते हो घास को, हर कोई घास के ऊपर रौंदता है, किन्तु वह प्रतिवाद नहीं करती - " ठीक है।" तो तृणाद अपि सुनीचेन: व्यक्ति को घास से भी (अधिक) विनम्र होना चाहिए। और तरोर अपि सहिष्णुना... तरोर मायने " वृक्ष ।" वृक्ष बहुत सहिष्णु होते हैं, सहिष्णुता के आदर्श, हज़ारों वर्ष खड़े, एक स्थान (पर), (कोई) प्रतिवाद नहीं करते।"|Vanisource:681108 - Lecture BS 5.29 - Los Angeles|681108 - प्रवचन BS 5.29 - लॉस एंजेलेस}}|Vanisource:681108 - Lecture BS 5.29 - Los Angeles|681108 - प्रवचन BS 5.29 - लॉस एंजेलेस}} |
Latest revision as of 01:17, 9 February 2020
HI/Hindi - श्रील प्रभुपाद की अमृत वाणी |
कौन योग्य है हरे कृष्ण गुणगान करने के लिए ? वे परिभाषा दे रहे हैं। क्या है वह? तृणाद अपि सुनीचेन: घास से भी विनम्र। तुम जानते हो घास को, हर कोई घास के ऊपर रौंदता है, किन्तु वह प्रतिवाद नहीं करती - " ठीक है।" तो तृणाद अपि सुनीचेन: व्यक्ति को घास से भी (अधिक) विनम्र होना चाहिए। और तरोर अपि सहिष्णुना... तरोर मायने " वृक्ष ।" वृक्ष बहुत सहिष्णु होते हैं, सहिष्णुता के आदर्श, हज़ारों वर्ष खड़े, एक स्थान (पर), (कोई) प्रतिवाद नहीं करते।" |
681108 - प्रवचन BS 5.29 - लॉस एंजेलेस |
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