HI/Prabhupada 0891 - कृष्ण नियमित आवर्तन से कई सालों के बाद इस ब्रह्मांड में अवतरित होते हैं: Difference between revisions
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प्रभुपाद: अब गणना करो । मैंने पहले से ही तुम्हे बताया है एक दिन की अवधि, बारह घंटे, ब्रह्मा के, मतलब | प्रभुपाद: अब गणना करो । मैंने पहले से ही तुम्हे बताया है एक दिन की अवधि, बारह घंटे, ब्रह्मा के, मतलब ४३,००,००० साल को एक हजार गुना करो । क्या आता है ? ४३,००,००० साल को एक हजार गुना करो । | ||
भक्त: चार हजार तीन सौ मिलियन। | भक्त: चार हजार तीन सौ मिलियन। | ||
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प्रभुपाद: नहीं, नहीं । | प्रभुपाद: नहीं, नहीं । | ||
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प्रभुपाद: ओह, राय में अंतर। (हंसी) | प्रभुपाद: ओह, राय में अंतर। (हंसी) | ||
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मधूद्विष: यह सच है । उनका अरब कुछ और है । | मधूद्विष: यह सच है । उनका अरब कुछ और है । | ||
प्रभुपाद: ओह । ठीक है , मैं तुम्हें सही आंकड़ा देता हूँ, | प्रभुपाद: ओह । ठीक है, मैं तुम्हें सही आंकड़ा देता हूँ, चालीस लाख, अमेरिकी या अंग्रेजी गणना के अनुसार, (हंसी) ४३,००,००० साल और उसे एक हजार गुना करो । तो क्या अाता है अंग्रेजी गणना के अनुसार ? (हंसी) | ||
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प्रभुपाद: यह बारह घंटे हैं । और फिर से बारह घंटे जोड़ो, रात । तब आठ अरब...? | प्रभुपाद: यह बारह घंटे हैं । और फिर से बारह घंटे जोड़ो, रात । तब आठ अरब...? | ||
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प्रभुपाद: तो श्री कृष्ण इस अवधि के बाद आते हैं । (हंसी) एक दिन में, ब्रह्मा के एक दिन बाद, वे प्रकट होते हैं । | प्रभुपाद: तो श्री कृष्ण इस अवधि के बाद आते हैं । (हंसी) एक दिन में, ब्रह्मा के एक दिन बाद, वे प्रकट होते हैं । | ||
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भक्त (८): श्रील प्रभुपाद, क्या भगवान चैतन्य महाप्रभु भी ब्रह्मा के हर दिन में अवतरित होते हैं ? | भक्त (८): श्रील प्रभुपाद, क्या भगवान चैतन्य महाप्रभु भी ब्रह्मा के हर दिन में अवतरित होते हैं ? | ||
प्रभुपाद: हाँ, श्री कृष्ण के पीछे पीछे । श्री कृष्ण द्वापर में आते हैं । प्रत्येक युग | प्रभुपाद: हाँ, श्री कृष्ण के पीछे पीछे । श्री कृष्ण द्वापर में आते हैं । प्रत्येक युग की चार अवधि होते हैं: सत्य, त्रेता, द्वापर, कलि । तो श्री कृष्ण द्वापर-युग के अंत में आते हैं, और चैतन्य महाप्रभु कलियुग में आते हैं । तो लगभग एक ही साल में, एक ही नियमित आवर्तन । जैसे सूर्य कई घंटों के बाद दिखाई देता है । यह ऐसा ही है । और सूर्य गायब नहीं होता है । सूर्य आकाश में पहले से ही है । यह ऑस्ट्रेलिया की दृष्टि में नहीं हो सकता है, लेकिन यह अन्य देश की दृष्टि में हो सकता है । सूर्य मरा नहीं है । | ||
इसी तरह, श्री कृष्ण नियमित आवर्तन से इस ब्रह्मांड में प्रकट होते हैं, इतने सालों के बाद, आठ अरब और नौ अरब साल । फिर वे एक और ब्रह्मांड में चले जाते हैं । जैसे सूर्य की तरह, ऑस्ट्रेलिया से लुप्त होने के बाद, यह किसी दूसरे देश को जाता है । इसी तरह, श्री कृष्ण, इस ब्रह्मांड में अपने कार्य को समाप्त करने के बाद, वे एक और ब्रह्मांड में चले जाते हैं । इस तरह नियमित आवर्तन लेता है आठ मिलियन ..., नौ अरब साल | कल्पना करो कि कितने ब्रह्मांड हैं । वे एक ब्रह्मांड में १२५ साल के लिए रहते हैं । सब कुछ है, गणना, शास्त्र में । अब हम कल्पना कर सकते हैं कि कितने ब्रह्मांड हैं । यही कुल मिलाकर, भौतिक जगत है । | |||
यह कहा गया है... | |||
:अथवा बहुनैतेन | |||
:किम ज्ञातेन तवार्जुन | |||
:विष्ठभ्याहम इदम् कृत्स्नम | |||
:एकांशेन स्थितो जगत | |||
:([[Vanisource: BG 10.42 (1972) |भ.गी. १०.४२]]) । | |||
यह भौतिक सृजन एक-चौथाई भाग है पूरे भगवान की संपत्ति का । और तीन-चौथाई भाग आध्यात्मिक जगत है । यही भगवान हैं । एसे सस्ते भगवान नहीं, "मैं भगवान हूँ" "यह भगवान.." । हम इस तरह के सस्ते भगवान को स्वीकार नहीं करते हैं । | |||
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Latest revision as of 17:44, 1 October 2020
750522 - Lecture SB 06.01.01-2 - Melbourne
प्रभुपाद: हाँ ।
भक्त: कितना समय लगता है अापके अनुसार जब श्री कृष्ण इस ग्रह पर आते हैं अपनी शरीरिक..., मनुष्य के रूप में ?
प्रभुपाद: अब गणना करो । मैंने पहले से ही तुम्हे बताया है एक दिन की अवधि, बारह घंटे, ब्रह्मा के, मतलब ४३,००,००० साल को एक हजार गुना करो । क्या आता है ? ४३,००,००० साल को एक हजार गुना करो ।
भक्त: चार हजार तीन सौ मिलियन।
प्रभुपाद: नहीं, नहीं ।
परमहंस: चारसो तिस करोड़ ।
प्रभुपाद: ओह, राय में अंतर। (हंसी)
मधूद्विष: ऑस्ट्रेलिया में वे अलग तरह से गणना करते हैं। (हंसी)
प्रभुपाद: खैर, तुम्हारी ऑस्ट्रेलियाई गणना क्या है ? मुझे बताअो ।
मधूद्विष: यह सच है । उनका अरब कुछ और है ।
प्रभुपाद: ओह । ठीक है, मैं तुम्हें सही आंकड़ा देता हूँ, चालीस लाख, अमेरिकी या अंग्रेजी गणना के अनुसार, (हंसी) ४३,००,००० साल और उसे एक हजार गुना करो । तो क्या अाता है अंग्रेजी गणना के अनुसार ? (हंसी)
परमहंस: ४३०,००,००,००० ।
प्रभुपाद: हम्म ?
परमहंस: ४३०,००,००,००० ।
प्रभुपाद: यह बारह घंटे हैं । और फिर से बारह घंटे जोड़ो, रात । तब आठ अरब...?
परमहंस: ६००,००,००,००० ।
प्रभुपाद: तो श्री कृष्ण इस अवधि के बाद आते हैं । (हंसी) एक दिन में, ब्रह्मा के एक दिन बाद, वे प्रकट होते हैं ।
भक्त (८): श्रील प्रभुपाद, क्या भगवान चैतन्य महाप्रभु भी ब्रह्मा के हर दिन में अवतरित होते हैं ?
प्रभुपाद: हाँ, श्री कृष्ण के पीछे पीछे । श्री कृष्ण द्वापर में आते हैं । प्रत्येक युग की चार अवधि होते हैं: सत्य, त्रेता, द्वापर, कलि । तो श्री कृष्ण द्वापर-युग के अंत में आते हैं, और चैतन्य महाप्रभु कलियुग में आते हैं । तो लगभग एक ही साल में, एक ही नियमित आवर्तन । जैसे सूर्य कई घंटों के बाद दिखाई देता है । यह ऐसा ही है । और सूर्य गायब नहीं होता है । सूर्य आकाश में पहले से ही है । यह ऑस्ट्रेलिया की दृष्टि में नहीं हो सकता है, लेकिन यह अन्य देश की दृष्टि में हो सकता है । सूर्य मरा नहीं है ।
इसी तरह, श्री कृष्ण नियमित आवर्तन से इस ब्रह्मांड में प्रकट होते हैं, इतने सालों के बाद, आठ अरब और नौ अरब साल । फिर वे एक और ब्रह्मांड में चले जाते हैं । जैसे सूर्य की तरह, ऑस्ट्रेलिया से लुप्त होने के बाद, यह किसी दूसरे देश को जाता है । इसी तरह, श्री कृष्ण, इस ब्रह्मांड में अपने कार्य को समाप्त करने के बाद, वे एक और ब्रह्मांड में चले जाते हैं । इस तरह नियमित आवर्तन लेता है आठ मिलियन ..., नौ अरब साल | कल्पना करो कि कितने ब्रह्मांड हैं । वे एक ब्रह्मांड में १२५ साल के लिए रहते हैं । सब कुछ है, गणना, शास्त्र में । अब हम कल्पना कर सकते हैं कि कितने ब्रह्मांड हैं । यही कुल मिलाकर, भौतिक जगत है ।
यह कहा गया है...
- अथवा बहुनैतेन
- किम ज्ञातेन तवार्जुन
- विष्ठभ्याहम इदम् कृत्स्नम
- एकांशेन स्थितो जगत
- (भ.गी. १०.४२) ।
यह भौतिक सृजन एक-चौथाई भाग है पूरे भगवान की संपत्ति का । और तीन-चौथाई भाग आध्यात्मिक जगत है । यही भगवान हैं । एसे सस्ते भगवान नहीं, "मैं भगवान हूँ" "यह भगवान.." । हम इस तरह के सस्ते भगवान को स्वीकार नहीं करते हैं ।