HI/700320 - रुक्मिणी को लिखित पत्र, लॉस एंजिलस: Difference between revisions
(Created page with "Category:HI/1970 - श्रील प्रभुपाद के पत्र Category:HI/1970 - श्रील प्रभुपाद के प्रवचन,व...") |
m (Kritika moved page HI/700320 - रुक्मिणी को पत्र, लॉस एंजिलस to HI/700320 - रुक्मिणी को लिखित पत्र, लॉस एंजिलस) |
||
(One intermediate revision by one other user not shown) | |||
Line 12: | Line 12: | ||
<div style="float:left">[[File:Go-previous.png|link= HI/श्रील प्रभुपाद के पत्र - दिनांक के अनुसार]]'''[[:Category:HI/श्रील प्रभुपाद के पत्र - दिनांक के अनुसार|HI/श्रील प्रभुपाद के पत्र - दिनांक के अनुसार]], [[:Category:HI/1970 - श्रील प्रभुपाद के पत्र|1970]]'''</div> | <div style="float:left">[[File:Go-previous.png|link= HI/श्रील प्रभुपाद के पत्र - दिनांक के अनुसार]]'''[[:Category:HI/श्रील प्रभुपाद के पत्र - दिनांक के अनुसार|HI/श्रील प्रभुपाद के पत्र - दिनांक के अनुसार]], [[:Category:HI/1970 - श्रील प्रभुपाद के पत्र|1970]]'''</div> | ||
<div div style="float:right"> | <div div style="float:right"> | ||
'''<big>[[Vanisource: | '''<big>[[Vanisource:700320 - Letter to Rukmini written from Los Angeles|Original Vanisource page in English]]</big>''' | ||
</div> | </div> | ||
{{LetterScan|700320_-_Letter_to_Rukmini.JPG|Letter to Rukmini}} | {{LetterScan|700320_-_Letter_to_Rukmini.JPG|Letter to Rukmini}} | ||
Line 22: | Line 22: | ||
संस्थापक-आचार्य: <br/> | संस्थापक-आचार्य: <br/> | ||
अंतर्राष्ट्रीय कृष्णभावनामृत संघ <br/> | अंतर्राष्ट्रीय कृष्णभावनामृत संघ <br/> | ||
1975 सो ला सिएनेगा बुलेवर्ड | 1975 सो ला सिएनेगा बुलेवर्ड <br> | ||
लॉस एंजिल्स, कैलिफोर्निया 90034 | लॉस एंजिल्स, कैलिफोर्निया 90034 | ||
Latest revision as of 16:36, 14 May 2022
त्रिदंडी गोस्वामी
ए.सी. भक्तिवेदांत स्वामी
संस्थापक-आचार्य:
अंतर्राष्ट्रीय कृष्णभावनामृत संघ
1975 सो ला सिएनेगा बुलेवर्ड
लॉस एंजिल्स, कैलिफोर्निया 90034
20 मार्च, 1970
मेरी प्रिय रुक्मिनी,
कृपया मेरे आशीर्वाद स्वीकार करो। तुम्हारे लड्डुओं के लिए बहुत-बहुत अधिक धन्यवाद। ये बहुत-बहुत अधिक स्वादिष्ट हैं और हमने बहुत स्वाद से खाए हैं। वे अभी भी रखे हैं और मैं खाता रहूंगा। विग्रह सेवा का मतलब है बहुत-बहुत साफ़ सुथरा रहना। तुम्हें प्रतिदिन दो बार स्नान करने का प्रयास करना चाहिए। मलत्याग इत्यादि के बाद स्नान व साफ़ कपड़े बदले बिना, कभी भी विग्रहों के समक्ष नहीं जाना चाहिए। प्रत्येक बार भोजन करने के पश्चात दांत मांजो और नाखून कटे व साफ़-सुथरे रखो। और प्रतिदिन विग्रह कक्ष, वेदी एवं फर्श को पूरी तरह से साफ़ करो। आरत्रिक के पश्चात, आरत्रिक की सारी सामग्री को चमकाओ। शिलावती दासी द्वारा पुजारियों के लिए लिखी गई पुस्तिका में यह सारा वर्णन है। मतलब है स्वच्छता की पराकाष्ठा—इससे कृष्ण तुष्ट होंगे।
तुम्हारे स्वप्न के बारे में मैं कहना चाहता हूँ कि यह एक बहुत बड़ी कृपा है कि कृष्ण ने तुम्हें चेता दिया। इसलिए, तुम्हें कभी भी लापरवाह नहीं होना है। सदैव सतर्क रहो और क्रमशः तुम्हें भाव की अनुभूति होगी।
कृपया अपने पति भरदराज को मेरे आशीर्वाद देना। मैं आशा करता हूँ कि तुम दोनों का स्वास्थ्य अच्छा है।
सर्वदा तुम्हारा शुभाकांक्षी,
(हस्ताक्षरित)
ए. सी. भक्तिवेदान्त स्वामी
एसीबीएस:डी बी
श्रीमन पतित उद्धारणदास ब्रह्मचारी
इस्कॉन मंदिर
38 उत्तर बीकन स्ट्रीट
बॉस्टन, एमए 02134
- HI/1970 - श्रील प्रभुपाद के पत्र
- HI/1970 - श्रील प्रभुपाद के प्रवचन,वार्तालाप एवं पत्र
- HI/1970-03 - श्रील प्रभुपाद के प्रवचन,वार्तालाप एवं पत्र
- HI/श्रील प्रभुपाद के पत्र जो लिखे गए - अमेरीका से
- HI/श्रील प्रभुपाद के पत्र जो लिखे गए - अमेरीका, लॉस एंजिलस से
- HI/श्रील प्रभुपाद के प्रवचन,वार्तालाप एवं पत्र - अमेरीका
- HI/श्रील प्रभुपाद के प्रवचन,वार्तालाप एवं पत्र - अमेरीका, लॉस एंजिलस
- HI/श्रील प्रभुपाद के पत्र - रुक्मिणी दासी को
- HI/श्रील प्रभुपाद के सभी पत्र हिंदी में अनुवादित
- HI/1970 - श्रील प्रभुपाद के पत्र - मूल पृष्ठों के स्कैन सहित
- HI/सभी हिंदी पृष्ठ