HI/740111b - श्रील प्रभुपाद लॉस एंजेलेस में अपनी अमृतवाणी व्यक्त करते हैं: Difference between revisions
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Latest revision as of 18:28, 4 February 2023
HI/Hindi - श्रील प्रभुपाद की अमृत वाणी |
"यदि तुम बच्चों को कृष्ण भावनाभावित बनाने के लिए उनसे प्रेम करते हो, तो यह कृष्ण से प्रेम करना है। सर्वधर्मान्परित्यज्य मामेकं शरणं व्रज (भ.गी.१८.६६). हमारा आंदोलन क्या है? मैं आपके देश में क्यों आया हूं? तुम्हे कृष्ण भावनाभावित बनाने के लिए। तो मुझे कृष्ण से प्रेम है। नहीं तो क्यों। . . क्या काम है, मैं आपके पास आया हूं? मेरा कोई व्यवसाय नहीं है। क्योंकि मैं कृष्ण से प्यार करता हूँ, मैं दुनिया में हर किसी को कृष्ण भावनाभावित देखना चाहता हूँ। नहीं तो इस बुढ़ापे में हम इतनी कोशिश क्यों कर रहे हैं? इसी तरह, अगर तुम अपने बच्चों को कृष्ण भावनाभावित बनाने के लिए प्यार करते हो, तो सैकड़ों बच्चे पैदा करो और उन्हें बनाओ । यही कृष्ण प्रेम है । और यदि आप उन्हें बिल्ली और कुत्ता बनाते हैं, तो एक बच्चा पैदा करना भी पाप है। वह भी पाप है। लेकिन अगर तुम उन्हें कृष्ण भावनाभावित बना सकते हो, तो सैकड़ों बच्चे पैदा करो । यही कृष्ण प्रेम है। भागवत कहता है, पिता न स स्याज्जननी न सा स्यात् , न्न मोचयेद्य: समुपेतमृत्युम् (श्री.भा. ५.५.१८) “जो अपने आश्रित को बाराम्बर होने वाले जन्म मृत्यु के पथ से उबार न सके, उसे कभी भी गुरु, पिता, पति, माता या आराध्यदेव नहीं बनना चाहिए"। यही शर्त है।" |
७४०१११ - सुबह की सैर - लॉस एंजेलेस |