HI/710105 बातचीत - श्रील प्रभुपाद बॉम्बे में अपनी अमृतवाणी व्यक्त करते हैं: Difference between revisions

 
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{{Audiobox_NDrops|HI/Hindi - श्रील प्रभुपाद की अमृत वाणी|<mp3player>https://s3.amazonaws.com/vanipedia/Nectar+Drops/710105R1-BOMBAY_ND_01.mp3</mp3player>|"सर्वोच्च निरपेक्ष सत्य वह है जिसमें से या जिनसे सब कुछ निर्गत होता है। इसलिए यदि यह शरारत ईश्वर के व्यक्तित्व में नहीं है तो कहाँ से आती है? अगर यह चोरी की प्रवृत्ति ईश्वर में नहीं है तो कहाँ से आती है? लेकिन क्योंकि वह पूर्ण है, उसकी चोरी भी उनके आशीर्वाद जितना ही अच्छा है। माखन-चोरा। कृष्ण माखन की चोरी करते थे, वह पूजनीय है, मक्खन, उसी नाम से। ठीक उसी तरह एक अन्य मंदिर में,क्षीर-चोर-गोपीनाथ। गोपीनाथा को संघनित दूध चोर के रूप में जाना जाता है, -क्षीर-चोर। वह चोर, तस्कर नाम से प्रसिद्ध है।"|Vanisource:710105 - Conversation - Bombay|710105 - बातचीत - बॉम्बे}}
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{{Nectar Drops navigation - All Languages|Hindi|HI/710103 प्रवचन - श्रील प्रभुपाद सूरत में अपनी अमृतवाणी व्यक्त करते हैं|710103|HI/710105b बातचीत - श्रील प्रभुपाद बॉम्बे में अपनी अमृतवाणी व्यक्त करते हैं|710105b}}
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Latest revision as of 15:55, 4 March 2023

HI/Hindi - श्रील प्रभुपाद की अमृत वाणी
"सर्वोच्च निरपेक्ष सत्य वह है जिसमें से या जिनसे सब कुछ निर्गत होता है। इसलिए यदि यह शरारत ईश्वर के व्यक्तित्व में नहीं है तो कहाँ से आती है? अगर यह चोरी की प्रवृत्ति ईश्वर में नहीं है तो कहाँ से आती है? लेकिन क्योंकि वह पूर्ण है, उसकी चोरी भी उनके आशीर्वाद जितना ही अच्छा है। माखन-चोर। कृष्ण माखन की चोरी करते थे, वह पूजनीय है, मक्खन, उसी नाम से। ठीक उसी तरह एक अन्य मंदिर में, क्षीर-चोर-गोपीनाथ। गोपीनाथ को संघनित दूध चोर के रूप में जाना जाता है, क्षीर-चोर। वह चोर, तस्कर नाम से प्रसिद्ध है।"
710105 - सम्भाषण - बॉम्बे