HI/680315 प्रवचन - श्रील प्रभुपाद सैन फ्रांसिस्को में अपनी अमृतवाणी व्यक्त करते हैं: Difference between revisions
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Latest revision as of 14:05, 19 May 2019
HI/Hindi - श्रील प्रभुपाद की अमृत वाणी |
व्यक्ति को कृष्ण भावनाभावित या भगवद भावनाभावित होना चाहिए, क्यों ? क्योंकि वे आपके स्वामी है और सबसे अंतरंग मित्र, सुहृत, है । यथा आत्मेश्वर । आत्मेश्वर, इसका मतलब है कि हम स्वयं आत्मा हैं और वे मूल परमात्मा है । जैसे वर्तमान में हम इस शरीर को पसंद करते हैं, हम इस शरीर को प्रेम करते हैं... क्यों ? क्योंकि शरीर आत्मा का उत्पादन है । आत्मा के बिना, कोई शरीर नहीं है । |
680315 - प्रवचन श्री.भा. ७.६.१ - सैन फ्रांसिस्को |