HI/661124 प्रवचन - श्रील प्रभुपाद न्यूयार्क में अपनी अमृतवाणी व्यक्त करते हैं: Difference between revisions
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Latest revision as of 13:49, 31 July 2020
HI/Hindi - श्रील प्रभुपाद की अमृत वाणी |
"भगवान् कहते हैं; मयाध्यक्षेण। मयाध्यक्षेण का अर्थ है, 'मेरे अधीक्षण में। मेरे अधीक्षण में ।' इसलिए भौतिक संसार ऐसा अद्भुत कार्य नहीं कर सकता जब तक इसके पीछे भगवान् का हाथ न हो। यह तो स्वीकारना ही होगा। आप उसे देख नहीं सकते। आप कोई भी उदाहरण नहीं दे सकते, जहाँ भौतिक चीज़ें स्वत: ही हो रही हों। आपके अनुभव में ऐसा कोई उदाहरण नहीं है। पदार्थ निष्क्रिय होता है। आध्यात्मिक स्पर्श के बिना, उसके कार्य करने की कोई संभावना नहीं है। पदार्थ स्वत: कार्य नहीं कर सकता।" |
661124 - प्रवचन भ.गी. ९.४-७ - न्यूयार्क |