HI/670130 - रायराम को लिखित पत्र, सैन फ्रांसिस्को: Difference between revisions

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{{LetterScan|670130_-_Letter_to_Jadurani_Satsvarupa_Achyutananda_Gargamuni.JPG| अच्युतानंद को पत्र}}
{{LetterScan|670130_-_Letter_to_Jadurani_Satsvarupa_Achyutananda_Gargamuni.JPG| रायराम को पत्र}}<br/>




ए.सी. भक्तिवेदांता स्वामी <br/>
ए.सी. भक्तिवेदांत स्वामी <br/>
अंतराष्ट्रीय कृष्णभावनामृत संघ <br/>
अंतराष्ट्रीय कृष्णभावनामृत संघ <br/>
५१८ फ्रेडरिक गली, सैन फ्रांसिसको कैलिफ़ोर्निया <br/>  
५१८ फ्रेडरिक गली, सैन फ्रांसिसको <br/>  
जनवरी ३०,१९६७ <br/>
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मेरे प्रिय रायराम, <br/>
मेरे प्रिय रायराम, <br/>
मैं २६ वें पल के आपके पत्र की उचित प्राप्ति में हूं। सेवा का प्रस्ताव बहुत अच्छा है और मैं इस नौकरी को आपकी स्वीकृति का अनुमोदन करता हूं। न केवल आपकी आय समाज के लिए एक बड़ी मदद होगी, बल्कि यह हमारी पत्रिका बैक टू गॉडहेड को कैसे व्यवस्थित किया जाए, यह सीखने का एक शानदार अवसर होगा। यह बैक टू गॉडहेड हमेशा समाज की रीड की हड्डी बनी रहेगी क्योंकि जितनी अधिक पत्रिका लोकप्रिय होगी उतना ही अधिक समाज लोकप्रिय होगा। इसलिए आपकी महत्वाकांक्षा हमेशा यह होनी चाहिए कि कागज की गुणवत्ता कैसे बेहतर हो, ताकि इसे सभी सम्मानित व्यक्ति पढ़ सकें। भविष्य में हमारे पास इस कागज का एक फ्रेंच संस्करण हो सकता है। यदि हमारी बैक टू गॉडहेड अच्छी तरह से चलती है तो हम किसी भी अन्य प्रकाशकों की प्रतीक्षा किए बिना हमारा सभी प्रख्यापन हो सकता हैं। <br/>
मैं २६ वें पल के आपके पत्र की उचित प्राप्ति में हूं। सेवा का प्रस्ताव बहुत अच्छा है और मैं इस नौकरी को आपकी स्वीकृति का अनुमोदन करता हूं। न केवल आपकी आय समाज के लिए एक बड़ी मदद होगी, बल्कि यह हमारी पत्रिका बैक टू गॉडहेड को कैसे व्यवस्थित किया जाए, यह सीखने का एक शानदार अवसर होगा। यह बैक टू गॉडहेड हमेशा समाज की रीड की हड्डी बनी रहेगी क्योंकि जितनी यह पत्रिका प्रचलित होगी उतना ही हमारे संघ का प्रचार होगा। इसलिए आपकी महत्वाकांक्षा हमेशा यह होनी चाहिए कि पत्रिका की गुणवत्ता कैसे बेहतर हो, ताकि इसे सभी सम्मानित व्यक्ति पढ़ सकें। भविष्य में हमारे पास इस कागज का एक फ्रेंच संस्करण हो सकता है। यदि हमारी बैक टू गॉडहेड अच्छी तरह से चलती है तो हम किसी भी अन्य प्रकाशकों की प्रतीक्षा किए बिना हमारा सभी प्रख्यापन हो सकता हैं। <br/>
श्रीमद भगवद-गीता के बारे में मैं अब इसे स्वतंत्र रूप से प्रकाशित करने और भारत में इसे छापने की व्यवस्था कर रहा हूं क्योंकि यह सस्ता होगा। हम यहां २००० प्रतियों के लिए क्या खर्च करेंगे, भारत में ५०००  प्रतियों की छपाई के लिए पर्याप्त होगा। और संक्षिप्त संस्करण को कुछ प्रकाशक के माध्यम से यहां संस्करण किया जा सकता है। मैंने हावर्ड को इसे तुरंत संपादित करने के लिए कहा है। मुझे यह जानकर बहुत खुशी हो रही है कि एन.वाई. केंद्र में सब कुछ ठीक चल रहा है। जब तक हमारा कीर्तन ठीक है तब तक कोई कठिनाई नहीं है। आशा है कि आप अपने अन्य धर्मभाईयो और बहनों के साथ अच्छी तरह से होंगे। <br/>
श्रीमद भगवद-गीता के बारे में मैं अब इसे स्वतंत्र रूप से प्रकाशित करने और भारत में इसे छापने की व्यवस्था कर रहा हूं क्योंकि यह सस्ता होगा। हम यहां २००० प्रतियों के लिए क्या खर्च करेंगे, भारत में ५०००  प्रतियों की छपाई के लिए पर्याप्त होगा। और संक्षिप्त संस्करण को कुछ प्रकाशक के माध्यम से यहां संस्करण किया जा सकता है। मैंने हावर्ड को इसे तुरंत संपादित करने के लिए कहा है। मुझे यह जानकर बहुत खुशी हो रही है कि एन.वाई. केंद्र में सब कुछ ठीक चल रहा है। जब तक हमारा कीर्तन ठीक है तब तक कोई कठिनाई नहीं है। आशा है कि आप अपने अन्य गुरुभाईयो और बहनों के साथ अच्छी तरह से होंगे। <br/>
आपका नित्य शुभचिन्तक, <br/>
आपका नित्य शुभचिन्तक, <br/>
हस्ताक्षर <br/>
[[File:SP Signature.png|300px]]  <br/>
ए.सी. भक्तिवेदांता स्वामी
ए.सी. भक्तिवेदांता स्वामी

Latest revision as of 12:24, 2 April 2021

रायराम को पत्र



ए.सी. भक्तिवेदांत स्वामी
अंतराष्ट्रीय कृष्णभावनामृत संघ
५१८ फ्रेडरिक गली, सैन फ्रांसिसको
कैलिफ़ोर्निया, जनवरी ३०,१९६७
मेरे प्रिय रायराम,
मैं २६ वें पल के आपके पत्र की उचित प्राप्ति में हूं। सेवा का प्रस्ताव बहुत अच्छा है और मैं इस नौकरी को आपकी स्वीकृति का अनुमोदन करता हूं। न केवल आपकी आय समाज के लिए एक बड़ी मदद होगी, बल्कि यह हमारी पत्रिका बैक टू गॉडहेड को कैसे व्यवस्थित किया जाए, यह सीखने का एक शानदार अवसर होगा। यह बैक टू गॉडहेड हमेशा समाज की रीड की हड्डी बनी रहेगी क्योंकि जितनी यह पत्रिका प्रचलित होगी उतना ही हमारे संघ का प्रचार होगा। इसलिए आपकी महत्वाकांक्षा हमेशा यह होनी चाहिए कि पत्रिका की गुणवत्ता कैसे बेहतर हो, ताकि इसे सभी सम्मानित व्यक्ति पढ़ सकें। भविष्य में हमारे पास इस कागज का एक फ्रेंच संस्करण हो सकता है। यदि हमारी बैक टू गॉडहेड अच्छी तरह से चलती है तो हम किसी भी अन्य प्रकाशकों की प्रतीक्षा किए बिना हमारा सभी प्रख्यापन हो सकता हैं।
श्रीमद भगवद-गीता के बारे में मैं अब इसे स्वतंत्र रूप से प्रकाशित करने और भारत में इसे छापने की व्यवस्था कर रहा हूं क्योंकि यह सस्ता होगा। हम यहां २००० प्रतियों के लिए क्या खर्च करेंगे, भारत में ५००० प्रतियों की छपाई के लिए पर्याप्त होगा। और संक्षिप्त संस्करण को कुछ प्रकाशक के माध्यम से यहां संस्करण किया जा सकता है। मैंने हावर्ड को इसे तुरंत संपादित करने के लिए कहा है। मुझे यह जानकर बहुत खुशी हो रही है कि एन.वाई. केंद्र में सब कुछ ठीक चल रहा है। जब तक हमारा कीर्तन ठीक है तब तक कोई कठिनाई नहीं है। आशा है कि आप अपने अन्य गुरुभाईयो और बहनों के साथ अच्छी तरह से होंगे।
आपका नित्य शुभचिन्तक,

ए.सी. भक्तिवेदांता स्वामी