HI/710222 - निरंजन को लिखित पत्र, गोरखपुर: Difference between revisions

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His Divine Grace A.C. Bhaktivedanta Swami Prabhupāda


22 फरवरी, 1971


मेरे प्रिय निरंजन,

कृपया मेरे आशीर्वाद स्वीकार करो। मैं तुम्हारा दिनांक 15 फरवरी, 71 का पत्र पा कर प्रसन्न हूँ। मैं बहुत खुश हूँ कि तुम प्रतिदिन 16 माला जप करके, गंभीरता से भक्तिमय सेवा कर रहे हो। अपने मित्रों के द्वारा की जा रही आलोचना से उत्तेजित मत होवो, क्योंकि चैतन्य महाप्रभु ने कहा है कि हरे कृष्ण मंत्र का जप करने के लिए किसी को भी तृण से अधिक दीन व वृक्ष से अधिक सहिष्णु होना चाहिए। तो प्रतिदिन 16 माला जप एवं हमारी पुस्तकों के नियमित अध्ययन के सिद्धांत से जुड़े रहो और एक दिन तुम इस सम्प्रदाय के एक महान प्रचारक बन जाओगे।

आशा करता हूँ कि यह तुम्हें अच्छे स्वास्थ्य में प्राप्त हो।

सर्वदा तुम्हारा शुभाकांक्षी,

ए. सी. भक्तिवेदान्त स्वामी

पश्चलेख: 10 मार्च से मैं श्री मायापुर धाम की यात्रा कर रहा होऊंगा। नवद्वीप में भगवान चैतन्य के जन्म स्थान में। यदि संभव हो तो हमारे साथ मिल चलो।

हम गोरखपुर में एक भूखण्ड ले रहे हैं।

एसीबीएस/एडीबी