HI/710824 - डॉ. बाली को लिखित पत्र, लंदन: Difference between revisions
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24 अगस्त 1971
मेरे प्रिय डॉ.बाली,
कृपया मेरे आशीर्वाद स्वीकार कीजिए और उन्हें अपनी धर्मपत्नी विजन्तीमाला को भी दीजिए। मुझे आपका दिनांक 18 अगस्त, 1971 का पत्र प्राप्त हुआ और मैंने उसे पढ़ा है।
जहां तक मद्रास जाने की बात है, तो पहली बात यह है कि अभी हमारे पास लोगों की कमी है। भारत में हमारे पास जितने भी लोग हैं वे सभी कलकत्ता, बम्बई व दिल्ली में रत हैं। फिर भी मैं दक्षिण भारत जाने को तैयार हूँ, बशर्ते आप अज़मैदान गोष्ठी का प्रबंध करने को तैयार हों।
आपका मकान खरीदने के बारे में मैं कहना चाहुंगा कि आपके विवरण के अनुसार लगता है कि मकान बहुत बढ़िया है। और मूल्य आपने मांगा है वह भी स्वीकार करने योग्य है। लेकिन हम किसी भी स्थानीय खर्च के लिए, आसपास से ही धन का संग्रह किया करते हैं। तो क्या आपको लगता है कि यदि मैं जाकर पंडाल उत्सव में उपस्थित रहूं तो 5 लाख रु. जमा किए जा सकेंगे। मुझे इस मकान का मूल्य तो मालुम नहीं है। और न ही मैं यह जानता हूँ कि मेरी उपस्थिति में कतनी बड़ी राशि जमा हो सकेगी। पर मैं वचन दे सकता हूँ कि वहां उस समय जितना भी धन एकत्रित होगा, वह मैं आपको आपके मकान के लिए दे दूंगा। और फिर हम तुरन्त वहां पर एक केन्द्र शुरु कर सकते हैं। यदि आप सोचते हैं कि ऐसा हो सकता है तो मैं अफ्रीका व विश्व के अन्य भागों में मेरे कार्क्रम रद्द करके, आपके सुझाव के अनुसार सितम्बर अन्त एवं अक्तूबर के पहले सप्ताह में सीधा भारत चला आऊंगा।
आपके पत्र के लिए फिर एक बार धन्यवाद।
सर्वदा आपका शुभाकांक्षी,
ए.सी.भक्तिवेदान्त स्वामी
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