HI/740813 - अम्सु को लिखित पत्र, वृंदावन: Difference between revisions

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Letter to Amsu das


कृष्ण बलराम मंदिर
रमन रिटी, वृंदाबन जिला मथुरा उ.प्र.

13 अगस्त, 1974

मेरे प्रिय अम्सु दासः

कृपया मेरे आशीर्वाद स्वीकार करो। मुझे तुम्हारा दिनांक 23 जुलाई, 1974 का पत्र प्राप्त हुआ और मैंने उसे पढ़ा है। जहां तक गौर निताई की स्त्री पुजारियों द्वारा पूजा किए जाने की बात है, तो हम भगवान चैतन्य की उनके ग्रह्स्थ जीवन में पूजा करते हैं, जब वे अपनी पत्नी के साथ थे। न कि एक सन्न्यासी के रूप में। तो स्त्रियों के लिए यह सेवा करना ठीक है। परन्तु वैसे भी, सेवा दिव्य होती है और उसमें कोई भौतिक उपाधी नहीं लगती। भगवद्गीता में भगवान कृष्ण द्वारा कहा गया हैः स्त्रियो वैश्यस् तथा शूद्रस्तेपि यान्ति परां गतिं। सिद्धांत यह है कि जो कोई भी विधिपूर्वक दीक्षाप्राप्त हो व नियमों का पालन करे, वह पूजा कर सकता है। यह गतिविधि भौतिक स्तर पर नहीं हो सकती।

स्मार्त्त विधि के अनुसार, स्त्रियां मासिक धर्म के दौरान विग्रह को नहीं छू सकती हैं। किन्तु गोस्वामी विधि इसकी अनुमति देती है। पर बेहतर है कि ऐसा न किया जाए। एक बात यह है कि किसी भी कारण से सेवा बन्द नहीं की जा सकती। रसोई करने में भी यही बात लागू होती है।

मैं आशा करता हूँ कि यह तुम्हें अच्छे स्वास्थ्य में प्राप्त हो।

सर्वदा तुम्हारा शुभाकांक्षी,

(आद्याक्षरित)

ए.सी.भक्तिवेदान्त स्वामी


एसीबीएस / बीएस/ पीएस

श्रीमन अमसु दास अधिकारी
स्पिरिचुअल स्काई
561 एडिलेड सेंट पूर्व
टोरंटो, ऑन्टेरियो