HI/680818b प्रवचन - श्रील प्रभुपाद मॉन्ट्रियल में अपनी अमृतवाणी व्यक्त करते हैं: Difference between revisions
No edit summary |
No edit summary |
||
Line 5: | Line 5: | ||
{{Nectar Drops navigation - All Languages|Hindi|HI/680818 बातचीत - श्रील प्रभुपाद मॉन्ट्रियल में अपनी अमृतवाणी व्यक्त करते हैं|680818|HI/680818c प्रवचन - श्रील प्रभुपाद मॉन्ट्रियल में अपनी अमृतवाणी व्यक्त करते हैं|680818c}} | {{Nectar Drops navigation - All Languages|Hindi|HI/680818 बातचीत - श्रील प्रभुपाद मॉन्ट्रियल में अपनी अमृतवाणी व्यक्त करते हैं|680818|HI/680818c प्रवचन - श्रील प्रभुपाद मॉन्ट्रियल में अपनी अमृतवाणी व्यक्त करते हैं|680818c}} | ||
<!-- END NAVIGATION BAR --> | <!-- END NAVIGATION BAR --> | ||
{{Audiobox_NDrops|HI/Hindi - श्रील प्रभुपाद की अमृत वाणी|<mp3player>https://s3.amazonaws.com/vanipedia/Nectar+Drops/680818SB-MONTREAL_ND_01.mp3</mp3player>|परम भगवान् | {{Audiobox_NDrops|HI/Hindi - श्रील प्रभुपाद की अमृत वाणी|<mp3player>https://s3.amazonaws.com/vanipedia/Nectar+Drops/680818SB-MONTREAL_ND_01.mp3</mp3player>|परम भगवान् से प्रार्थना करने के लिए, आपको किसी उच्च योग्यता की आवश्यकता नहीं है। इससे कोई अंतर नहीं पड़ता। आप जीवन के किसी भी स्तर से प्रार्थना कर सकते हैं। ऐसा नहीं है कि आपको एक बहुत विद्वान व्यक्ति, बहुत शिक्षित व्यक्ति बनना है, और फिर आपको अपनी प्रार्थनाओं को भली भांति चयनित शब्दों में, कविता, अभियोग, अलंकार इत्यादि के माध्यम से प्रस्तुत करना है। यह सब कुछ आवश्यक नहीं है। केवल आपको अपनी भावनाओं को व्यक्त करना है।|Vanisource:680818 - Lecture SB 07.09.12 - Montreal|680818 - प्रवचन श्री.भा. ७.९.१२ - मॉन्ट्रियल}} |
Latest revision as of 11:03, 18 June 2022
HI/Hindi - श्रील प्रभुपाद की अमृत वाणी |
परम भगवान् से प्रार्थना करने के लिए, आपको किसी उच्च योग्यता की आवश्यकता नहीं है। इससे कोई अंतर नहीं पड़ता। आप जीवन के किसी भी स्तर से प्रार्थना कर सकते हैं। ऐसा नहीं है कि आपको एक बहुत विद्वान व्यक्ति, बहुत शिक्षित व्यक्ति बनना है, और फिर आपको अपनी प्रार्थनाओं को भली भांति चयनित शब्दों में, कविता, अभियोग, अलंकार इत्यादि के माध्यम से प्रस्तुत करना है। यह सब कुछ आवश्यक नहीं है। केवल आपको अपनी भावनाओं को व्यक्त करना है। |
680818 - प्रवचन श्री.भा. ७.९.१२ - मॉन्ट्रियल |