HI/760729 - वासुदेव को लिखित पत्र, पेरिस

Revision as of 08:06, 9 March 2019 by Harshita (talk | contribs) (Created page with "Category:HI/1976 - श्रील प्रभुपाद के पत्र Category:HI/श्रील प्रभुपाद के सभी पत्र हि...")
(diff) ← Older revision | Latest revision (diff) | Newer revision → (diff)
Letter to Vasudeva das



29 जुलाई, 1976

मेरे प्रिय वासुदेव दास,

कृपया मेरे आशीर्वाद स्वीकार करो। मुझे तुम्हारा व उपेन्द्र दास का मिला जुला, बिना दिनांक का, पत्र प्राप्त हुआ और मैंने उसे ध्यानपूर्वक पढ़ लिया है। फिजि की अवस्था के संदर्भ में, यह बिलकुल आवश्यक है कि हम भूमि कि अवस्था और स्वयं इस्कॉन फिजि के संगठन को वस्तुतः समझ लें। पहली बात यह है कि इस्कॉन के संचालन बोर्ड में तुम व तुम्हारा भाई सदस्य के तौर पर हो सकते हो। लेकिन उसमें उस क्षेत्र के जीबीसी गुरुकृपा स्वामी, जीबीसी के सभापति तमाल कृष्ण गोस्वामी और उपेन्द्र दास का रहना आवश्यक है। दूसरी बात है कि, उपरोक्त शैली में इस्कॉन का संगठन किए जाने के पश्चात्, जिस भूमि पर मन्दिर का निर्माण किया जा रहा है, वह इस्कॉन फिजि को 99 वर्ष की बिना शर्त की लीज़ पर, जिसमें उसका पुनः नवीकरण करवाने का विकल्प भी हो, दिया जाना चाहिए। उसे मैं स्वीकृति दूंगा। यदि तुम्हें यह व्यवस्था पसंद न हो, तो तुम मन्दिर को अपनी निजी सम्पत्ति के रूप में रख सकते हो और मैं तुम्हें अपने शिष्य के तौर पर निर्देश दूंगा। लेकिन तुम फंड इकट्ठा करने व ऋण लेने के लिए इस्कॉन के नाम का प्रयोग नहीं कर सकते। जब तक इस मामले का जब निबटारा नहीं हो जाता, बैंक से कोई ऋण नहीं लिया जाना चाहिए और इस्कॉन के नाम पर किए जा रहे सभी फंड संकलन बिलकुल बंद कर दिए जाने चाहिएं। यदि तुम मन्दिर को निजी सम्पत्ति के रूप में रखना चाहते हो, तो उपेन्द्र दास फिजि लौट जाए और इस्कॉन फिजि भंग कर दिया जाए। यदि तुम इस परियोजना को एक इस्कॉन परियोजना मानना चाहते हो तो तुम्हें जीबीसी के आदेशों व निर्देशों का अवश्य ही पालन करना होगा, जो तुम करना पसन्द नहीं करते। अब तुम क्या चाहते हो, मुझे बता दो।


मैं आशा करता हूँ कि यह तुम्हें अच्छे स्वास्थ्य में प्राप्त हो,

सर्वदा तुम्हारा शुभाकाँक्षी

(हस्ताक्षरित)

ए.सी.भक्तिवेदान्त स्वामी

एसीबीएस/पीकेएस

cc: तमाल कृष्ण गोस्वामी, गुरु कृपा स्वामी, उपेंद्र दास