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  1. HI/Prabhupada 0060 - जीवन भौतिक पदार्थ से नहीं आ सकता‏‎ (2 revisions)
  2. HI/Prabhupada 0061 - यह शरीर त्वचा, हड्डी, रक्त का एक थैला है‏‎ (2 revisions)
  3. HI/Prabhupada 0062 - चौबीस घंटे कृष्ण को देखें‏‎ (2 revisions)
  4. HI/Prabhupada 0063 - मुझे एक महान मृदंग वादक होना चाहिए‏‎ (2 revisions)
  5. HI/Prabhupada 0064 - सिद्धि का अर्थ है जीवन का सिद्ध होना‏‎ (2 revisions)
  6. HI/Prabhupada 0065 -कृष्ण भावनाभावित बनने से हर कोई सुखी हो जाएगा‏‎ (2 revisions)
  7. HI/Prabhupada 0066 - हमें कृष्ण की इच्छाओं से सेहमत होना है‏‎ (2 revisions)
  8. HI/Prabhupada 0067 - गोस्वामी केवल दो घंटे सोते थे‏‎ (2 revisions)
  9. HI/Prabhupada 0074 - आपको पशुओ को क्यों खाना चाहिए‏‎ (2 revisions)
  10. HI/Prabhupada 0083 - हरे कृष्ण का जप करो तब सब कुछ आ जाएगा‏‎ (2 revisions)
  11. HI/Prabhupada 0084 - केवल कृष्ण का भक्त बनो‏‎ (2 revisions)
  12. HI/Prabhupada 0085 - ज्ञान की संस्कृति का अर्थ है आध्यात्मिक ज्ञान‏‎ (2 revisions)
  13. HI/Prabhupada 0096 - हमे व्यक्ति भागवत से अध्ययन करना चाहिए‏‎ (2 revisions)
  14. HI/Prabhupada 0143 - लाखों अरबों ब्रह्मांड हैं‏‎ (2 revisions)
  15. HI/Prabhupada 0156 - मैं आपको वो सिखाने की कोशिश कर रहा हूँ, जिसे आप भूल चुके हैं‏‎ (2 revisions)
  16. HI/Prabhupada 0158 - माँ की हत्या करने वाली सभ्यता‏‎ (2 revisions)
  17. HI/Prabhupada 0159 - अब वे बड़ी- बड़ी योजना बना रहे हैं, लोगों को शिक्षित करने के लिए कि कठिन परिश्रम कैसे करें‏‎ (2 revisions)
  18. HI/Prabhupada 0178 - कृष्ण द्वारा दिए गए आदेश धर्म हैं‏‎ (2 revisions)
  19. HI/Prabhupada 0195 - शरीर में मजबूत, मन में मजबूत, दृढ़ संकल्प में मजबूत‏‎ (2 revisions)
  20. HI/Prabhupada 0204 - मुझे गुरु की दया मिल रही है। यह वाणी है‏‎ (2 revisions)
  21. HI/Prabhupada 0205 - मैंने उम्मीद कभी नहीं किया, "यह लोग स्वीकार करेंगे"‏‎ (2 revisions)
  22. HI/Prabhupada 0206 - वैदिक समाज में पैसे का कोई सवाल ही नहीं है‏‎ (2 revisions)
  23. HI/Prabhupada 0207 - गैर जिम्मेदाराना जीवन मत जिअो‏‎ (2 revisions)
  24. HI/Prabhupada 0208 - उस व्यक्ति की शरण लेनी चाहिए जो कृष्ण का भक्त है‏‎ (2 revisions)
  25. HI/Prabhupada 0209 - कैसे घर के लिए वापस जाऍ, भगवद धाम‏‎ (2 revisions)
  26. HI/Prabhupada 0210 - पूरा भक्ति मार्ग भगवान की दया पर निर्भर करता है‏‎ (2 revisions)
  27. HI/Prabhupada 0211 - हमारा मिशन है श्री चैतन्य महाप्रभु की इच्छा की स्थापना करना‏‎ (2 revisions)
  28. HI/Prabhupada 0212 - वैज्ञानिक दृष्टिकोण से , मृत्यु के बाद जीवन है‏‎ (2 revisions)
  29. HI/Prabhupada 0213 - मौत को बंद करो तब मैं तुम्हारा रहस्यवाद देखूँगा‏‎ (2 revisions)
  30. HI/Prabhupada 0214 - जब तक हम भक्त रहते हैं, हमारा आंदोलन चलता रहेगा‏‎ (2 revisions)
  31. HI/Prabhupada 0215 - आपको पढ़ना होगा । तो आप समझ पाअोगे‏‎ (2 revisions)
  32. HI/Prabhupada 0216 - कृष्ण प्रथम श्रेणी के हैं, उनके भक्त भी प्रथम श्रेणी के हैं‏‎ (2 revisions)
  33. HI/Prabhupada 0217 - देवहुति का पद एक आदर्श महिला का पद है‏‎ (2 revisions)
  34. HI/Prabhupada 0218 - गुरु आंखें खोलता है‏‎ (2 revisions)
  35. HI/Prabhupada 0219 - मालिक बनने का यह बकवास विचार त्याग दो‏‎ (2 revisions)
  36. HI/Prabhupada 0220 - हर जीव भगवान का अभिन्न अंग है‏‎ (2 revisions)
  37. HI/Prabhupada 0221 - मायावादी, उन्हे लगता है कि वे भगवान के साथ एक हो गए हैं‏‎ (2 revisions)
  38. HI/Prabhupada 0222 - इस आंदोलन को अागे बढाना बंद मत करो‏‎ (2 revisions)
  39. HI/Prabhupada 0223 - यह संस्था पूरे मानव समाज को शिक्षित करने के लिए होनी चाहिए‏‎ (2 revisions)
  40. HI/Prabhupada 0224 - बड़े मकान का निर्माण, एक दोषपूर्ण नींव पर‏‎ (2 revisions)
  41. HI/Prabhupada 0225 - निराश मत हो,भ्रमित मत हो‏‎ (2 revisions)
  42. HI/Prabhupada 0226 - भगवान के नाम का प्रचार, महिमा, गतिविधियॉ, सुंदरता, प्यार‏‎ (2 revisions)
  43. HI/Prabhupada 0227 - क्यों मर रहे हो। मैं मरना नहीं चाहता‏‎ (2 revisions)
  44. HI/Prabhupada 0228 - अमर होने का रास्ता समझो‏‎ (2 revisions)
  45. HI/Prabhupada 0229 - मैं देखना चाहता हूँ कि एक शिष्य नें श्री कृष्ण के तत्वज्ञान को समझा है‏‎ (2 revisions)
  46. HI/Prabhupada 0230 - वैदिक सभ्यता के अनुसार, समाज के चार विभाजन हैं‏‎ (2 revisions)
  47. HI/Prabhupada 0231 - भगवान का मतलब है जो पूरे ब्रह्मांड के मालिक हैं‏‎ (2 revisions)
  48. HI/Prabhupada 0232 - तो भगवान से जलने वाले दुश्मन भी हैं । वे राक्षस कहे जाते हैं‏‎ (2 revisions)
  49. HI/Prabhupada 0233 - हमें गुरु और कृष्ण की दया के माध्यम से कृष्ण भावनामृत मिलती है‏‎ (2 revisions)
  50. HI/Prabhupada 0234 - एक भक्त बनना सबसे बड़ी योग्यता है‏‎ (2 revisions)

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