HI/750114 प्रवचन - श्रील प्रभुपाद बॉम्बे में अपनी अमृतवाणी व्यक्त करते हैं

HI/Hindi - श्रील प्रभुपाद की अमृत वाणी
" शाश्वत स्वरूप है "वेणुम् क्वनन्तम्" (ब्रह्म-संहिता ५.३०) : कृष्ण सदैव अपनी बाँसुरी बजाते हैं । यह शाश्वत स्वरूप है । उनकी शाश्वत लीलाएँ और उनका शाश्वत स्वरूप वृन्दावन में है । वे व्यक्तिगत रूप से कभी भी वृन्दावन को छोड़कर नहीं जाते । "पदम् एकम् न गच्छति" (लघु भागवतामृत १.५.४६१) वे सदैव वृन्दावन में हैं । परन्तु उसी समय वे सब जगह हैं । "
750114 - प्रवचन SB 03.26.39 - बॉम्बे