HI/670211 - रूपानुग को लिखित पत्र, सैंन फ्रांसिस्को: Difference between revisions

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अंतर्राष्ट्रीय कृष्णभावनामृत संघ इंक. 26 सेकेण्ड ऐवेन्यू, न्यू यॉर्क,एन.वाई 10003 टेलीफोन: 674-7428

शाखा 518 फ्रेड्रिक स्ट्रीट
सैन फ्रांसिस्को,कैलिफोर्निया
11 फरवरी, 1967

आचार्य:स्वामी ए.सी. भक्तिवेदान्त न्यासी:
लैरी बोगार्ट
जेम्स एस ग्रीन
कार्ल एयरगन्स
राफेल बालसम
रॉबर्ट लेफकोविट्ज़
रेमंड माराइस
स्टेनली मोगकोविट्ज़
माइकल ग्रांट
हार्वे कोहेन


सैन फ्रांसिस्को, कैलिफोर्निया ११ फरवरी, १९६७

मेरे प्रिय रूपानुग,

मुझे तुम्हारा 7 फरवरी का पत्र प्राप्त हुआ और मैं यह जानकर हतप्रभ हूँ कि न्यु यॉर्क का तापमान शून्य से नीचे चला गया है और पिछले दो दिनों से लगातार बर्फीला तूफान चल रहा है। चूंकि मैं वृद्ध हूँ, इसलिए यह स्थिति अवश्य ही मेरे लिए कुछ कष्टप्रद होती। मुझे लगता है कि मुझे यहां सैन फ्रांसिस्को भेजकर कृष्ण मुझे बचाना चाहते थे। यहां की जलवायु निःसंदेह ही भारत के जैसी है और मैं यहां पर आराम से हूँ। पर मुझे बेचैनी भी है क्योंकि न्यु यॉर्क में, तुम जैसे मेरे इतने सारे प्रिय विद्यार्थियों के होने के कारण मुझे वहां पर घर जैसी अनुभूति होती थी। जिस प्रकार तुम मेरी अनुपस्थिति का अनुभव कर रहे हो, वैसी ही अनुभूति मुझे भी हो रही है। पर हम इधर हों या उधर, कृष्णभावनामृत में स्थित होने के कारण हम सभी खुश हैं। कृष्ण हमें सर्वदा अपनी दिव्य सेवा में जोड़े रखें। मैं यह जानकर बहुत प्रसन्न हूँ कि एरिक ने उसके अभीभावकों से भी अधिक अच्छे ढ़ंग से कृष्णभावनामृत को समझ लिया है। मैं उसका बहुत धन्यवाद करता हूँ। यह एक सरल मन का उदाहरण है। बालक अबोध है और इसीलिए उसने भावनामृत को इतनी शीघ्रता से ग्रहण किया है। और ऐसा जान पड़ता है कि उसने अतीत में इस भावनामृत की साधना की है। कृपया उसकी और अधिक सहायता करो। और यह अच्छे अभिभावकों का कर्त्तव्य है कि वे अपने बच्चों को कृष्णभावनामृत में अग्रसर करने में सहायक हों। मैं यह जानकर हर्षित हूँ कि न्यु यॉर्क के भक्त उन्नति कर रहे हैं और विशेषकर माला जप करने में प्रगति कर रहे हैं।

आज सांय हमने हिमालयन अकादमी दि क्रस्चियन योगा चर्च में दो घंटे (7 से 9 सांय)तक कीर्त्तन व वक्तव्य का बहुत सफल आयोजन किया। और वहां पर कुछ 100 सम्माननीय लोग जुटे थे। सभी स्त्रियां व सज्जन सशील व भद्र थे और उन सभी ने हमारे कीर्त्तन एवं वक्तव्यों की सराहना की। उन्होंने मुझे अनेकों हार पहनाए व मेरी कई तस्वीरें उतारीं। उन्होंने मुझे कुझ 12 डॉलर की राशि अर्पण की और अधिकांशतः वे हमें पुनः ऐसी प्रस्तुतियों के लिए आमन्त्रण देंगे। इस हिमालयन अकादमी के विद्यार्थियों ने एक बहुत अच्छा मन्दिर बनाया है। और मेरी इच्छा है कि जैसे सैन फ्रांसिस्को के विद्यार्थियों ने किया है वैसे ही न्यु यॉर्क के विद्यार्थी भी सुझाई गई इमारत को जुटा लें। कल हम कलकत्ता के डॉ. हरिदास चौधरी से मिलने जा रहे हैं जिनकी सेल्फ रियलाइज़ेशन ऑफ सैन फ्रांसिस्को नामक एक ऐसी ही संस्था है। क्रियानन्द (जे. डॉनल्ड वॉल्टर्ज़) नामक एक अमरीकी सज्जन मुझे वहां कार्यक्रम के लिए ले जाएंगे। और कल सांय एक युगल जोड़ी का विवाह होगा व विवाह से पहले दो विद्यार्थियों को दीक्षा दी जाएगी। और वैसा ही कीर्त्तन कार्यक्रम 14 तारीख मंगलवार को कैलिफोर्निया कॉलेज में किया जाएगा। मुझे लगता है कि देश के इस भाग में हमारी लोकप्रियता बढ़ रही है। मं सोचता हूँ कि न्यु यॉर्क में भी तुम्हें मंगलवार, गुरुवार व शनिवार जैसे खाली दिनों में, विभिन्न गिरिजाओं व संस्थाओं में ऐसे कीर्त्तन कार्क्रमों का आयोजन करना चाहिए। जहां भी हमें अवसर मिले, हमें अवश्य ही इस प्रकार कीर्तन करना चाहिए।

सस्नेह तुम्हारा (हस्तलिखित)

(हस्ताक्षरित)