HI/690212c प्रवचन - श्रील प्रभुपाद लॉस एंजेलेस में अपनी अमृतवाणी व्यक्त करते हैं: Difference between revisions

 
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Latest revision as of 23:55, 4 May 2020

HI/Hindi - श्रील प्रभुपाद की अमृत वाणी
"यम मायने इन्द्रियों को नियंत्रित करना; नियम - विधि और विधान का पालन करना ; आसन - बैठने के अंग विन्यास का अभ्यास करना; प्रत्याहार - इन्द्रिय भोग से इन्द्रियों का नियंत्रण करना; ध्यान - तब कृष्ण या विष्णु के विषय में मनन करना; धारणा - एकाग्रता; प्राणायाम - श्वसन का व्यायाम; और समाधि - कृष्ण भावना में लीन रहना। तो यह योगाभ्यास है। तो यदि व्यक्ति प्रारम्भ से ही कृष्ण भावना में है, ये सभी आठ पद स्वतः सम्पन्न हो जाते हैं। व्यक्ति को इनका अलग से अभ्यास करने की आवश्यकता नहीं होती।"
690212 - प्रवचन BG 05.26-29 - लॉस एंजेलेस