HI/690413 प्रवचन - श्रील प्रभुपाद न्यूयार्क में अपनी अमृतवाणी व्यक्त करते हैं: Difference between revisions

 
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{{Audiobox_NDrops|Nectar Drops from Srila Prabhupada|<mp3player>https://s3.amazonaws.com/vanipedia/Nectar+Drops/690413SB-NEW_YORK_ND_01.mp3</mp3player>|"पूरे वैदिक शिक्षा सिर्फ भौतिक अस्तित्व के तीन गुना दुख से सभी पीड़ित मानवता को वितरित करने के लिए है। यह वैदिक सभ्यता का लक्ष और उद्देश्य है। इसका मतलब है कि यह मानव रूप जीवन की सभी प्रकार की समस्याओं को खत्म करने के लिए है। इंसान होने का प्रयास, वास्तव में, वे ऐसा कर रहे हैं। हर कोई जीवन के दुख को कम करने और जीवन की खुशियों को प्राप्त करने की कोशिश कर रहा है। यह सभी गतिविधियों का उत्साह है। लेकिन दुर्भाग्य से, उन्हें यह नहीं पता कि यह कैसे करना है।"|Vanisource:690413 - Lecture SB 11.03.21 - New York|690413 - Lecture SB 11.03.21 - New York}}
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{{Nectar Drops navigation - All Languages|Hindi|HI/690411b बातचीत - श्रील प्रभुपाद न्यूयार्क में अपनी अमृतवाणी व्यक्त करते हैं|690411b|HI/690416 प्रवचन - श्रील प्रभुपाद न्यूयार्क में अपनी अमृतवाणी व्यक्त करते हैं|690416}}
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{{Audiobox_NDrops|Nectar Drops from Srila Prabhupada|<mp3player>https://s3.amazonaws.com/vanipedia/Nectar+Drops/690413SB-NEW_YORK_ND_01.mp3</mp3player>|पूरी वैदिक शिक्षा भौतिक अस्तित्व के त्रिताप से पीड़ित मानवता को बस मुक्त करने के लिए है । यह वैदिक सभ्यता का लक्ष्य और उद्देश्य है । इसका मतलब है कि यह मनुष्य जीवन की सभी प्रकार की समस्याओं को खत्म करने के लिए है । मनुष्य का ये प्रयास होना चाहिए । वास्तव में ये लोग वही कर रहे है । हर कोई जीवन के दुख को कम करने की और खुशियों को प्राप्त करने की कोशिश कर रहा है । यह सभी कार्य का हेतु है । लेकिन दुर्भाग्य से, उन्हें यह नहीं पता कि यह कैसे करना है ।|Vanisource:690413 - Lecture SB 11.03.21 - New York|690413 - प्रवचन श्री.भा. ११..२१ - न्यूयार्क}}

Latest revision as of 06:13, 17 January 2021

Nectar Drops from Srila Prabhupada
पूरी वैदिक शिक्षा भौतिक अस्तित्व के त्रिताप से पीड़ित मानवता को बस मुक्त करने के लिए है । यह वैदिक सभ्यता का लक्ष्य और उद्देश्य है । इसका मतलब है कि यह मनुष्य जीवन की सभी प्रकार की समस्याओं को खत्म करने के लिए है । मनुष्य का ये प्रयास होना चाहिए । वास्तव में ये लोग वही कर रहे है । हर कोई जीवन के दुख को कम करने की और खुशियों को प्राप्त करने की कोशिश कर रहा है । यह सभी कार्य का हेतु है । लेकिन दुर्भाग्य से, उन्हें यह नहीं पता कि यह कैसे करना है ।
690413 - प्रवचन श्री.भा. ११.३.२१ - न्यूयार्क