HI/690908b बातचीत - श्रील प्रभुपाद हैम्बर्ग में अपनी अमृतवाणी व्यक्त करते हैं: Difference between revisions
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Latest revision as of 12:04, 1 February 2021
HI/Hindi - श्रील प्रभुपाद की अमृत वाणी |
"माया है। तभी कृष्ण कहते है, माया बहुत बलवती है। किन्तु यदि तुम कृष्ण को पकड़ लेते हो बहुत .... अधिक बलपूर्वक, तो माया कुछ नही कर सकती। यदि तुम्हारे जप में कोई चीज़ बाधा दाल रही है, तो तुम्हें अधिक ऊँचे स्वर मे जपना चाहिए: हरे कृष्णा हरे कृष्णा कृष्ण कृष्ण हरे हरे राम हरे राम राम राम हरे हरे। ताकि तुम माया को हराओ। औषधि यही है। कम से कम मैं यही करता हुँ जब मैं किसी संकट मे होता हूँ मैं हरे कृष्ण ऊँचे स्वर मे जपता हूँ: हरे कृष्ण हरे कृष्ण कृष्ण कृष्ण कृष्ण हरे हरे हरे राम हरे राम राम राम हरे हरे । बस यही। भक्तिविनोद ठाकुर... एक भजन है: जाय सकल बिपद गाय भक्तिविनोद बोले जाखोन ओ-नाम-गाई ( गीतावली से )। वे कहते हैं, जैसे ही मैं इस हरे कृष्ण को जपता हुँ, मैं तत्क्षण ही सब संकटो से मुक्त हो जाता हुँ ।" |
690908 - बातचीत - हैम्बर्ग |