HI/720929 प्रवचन - श्रील प्रभुपाद लॉस एंजेलेस में अपनी अमृतवाणी व्यक्त करते हैं: Difference between revisions

 
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{{Audiobox_NDrops|HI/Hindi - श्रील प्रभुपाद की अमृत वाणी|<mp3player>https://s3.amazonaws.com/vanipedia/Nectar+Drops/720929SB-LOS_ANGELES_ND_01.mp3</mp3player>|"इस भौतिक सृष्टि की कोई आवश्यकता नहीं थी। किंचित धूर्तों ने प्रश्न किया कि 'क्यों भगवान ने यह दुखदायी संसार बनाया है?' किन्तु तुम चाहते थे; इसलिए भगवान ने तुम्हें दिया है। ये यथा माम् प्रपद्यन्ते तांस तथैव भजामि अहम् ([[Vanisource:BG 4.11|भगवद्गीता ४.११]])। कृष्ण कहते हैं। कृष्ण बड़े दयालु हैं। तुम ऐसी परिस्थिति चाहते थे। वही उदहारण, बंदी गृह।  बंदी गृह, सरकार प्रचार नहीं कर रही है,'कृपया आप सभी सज्जन और महिलाएं, यहाँ आइये। नहीं, तुम जा रहे हो। तुम जा रहे हो। इसी प्रकार, यह भौतिक जगत तुम्हारे लिए बनाया गया है क्योंकि तुम चाहते थे। और यहाँ बंदी गृह में तुम बड़े आराम से रहने की अपेक्षा नहीं कर सकते... क्योंकि अंततोगत्वा, यह बंदी गृह है। यहाँ दुःख अवश्य होना चाहिए ताकि तुम पुनः नहीं आओ।"   |Vanisource:720929 - Lecture SB 01.03.24 - Los Angeles|720929 - प्रवचन SB 01.03.24 - लॉस एंजेलेस}}
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Latest revision as of 01:49, 19 November 2021

HI/Hindi - श्रील प्रभुपाद की अमृत वाणी
"इस भौतिक सृष्टि की कोई आवश्यकता नहीं थी। परंतु धूर्तों ने प्रश्न किया कि 'भगवान ने यह दुखदायी संसार क्यों बनाया है?' किन्तु हम ऐसा चाहते थे; इसलिए भगवान ने यह हमें दिया है। भगवान भगवद्गीता में कहते हैं - ये यथा माम् प्रपद्यन्ते तांस तथैव भजामि अहम् (भगवद्गीता ४.११)। कृष्ण अत्यधिक दयालु हैं। परंतु हम ऐसी परिस्थिति चाहते थे। यह बात हम बंदी गृह के उदाहरण से समझ सकते हैं। सरकार बंदी गृह का प्रचार नहीं कर रही है,'कृपया आप सभी यहाँ आइये।' नहीं, अपनी गतिविधियों के कारण हम स्वयं वँहा जा रहे हैं। इसी प्रकार, यह भौतिक जगत हमारे लिए बनाया गया है क्योंकि हम ऐसा चाहते थे। और यहाँ बंदी गृह में हम सुखपूर्वक रहने की अपेक्षा नहीं कर सकते... क्योंकि अंततोगत्वा, यह बंदी गृह है। यहाँ दुःख अवश्य होना चाहिए ताकि हम यहाँ पुनः ना आएँ।" Vanisource:720929 - Lecture SB 01.03.24 - Los Angeles
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