HI/730912 बातचीत - श्रील प्रभुपाद लंडन में अपनी अमृतवाणी व्यक्त करते हैं

HI/Hindi - श्रील प्रभुपाद की अमृत वाणी
"हम भी विश्वास करते हैं, कि संसार का आदि है, और इसका अंत है। जो कुछ भी भौतिक (है)। ठीक जैसे मेरा शरीर, तुम्हारा शरीर, इसका आदि पिता, माता से है, और पुनः इसका अंत हो जायेगा। तो जो कुछ भौतिक (है), इसका आदि और अंत है। किन्तु, इस शरीर में, यह जीवात्मा (है), इस जीवात्मा का आदि नहीं है, अंत नहीं है।"
730912 - Interview - लंडन