HI/731111 प्रवचन - श्रील प्रभुपाद दिल्ली में अपनी अमृतवाणी व्यक्त करते हैं: Difference between revisions

 
(Vanibot #0025: NectarDropsConnector - update old navigation bars (prev/next) to reflect new neighboring items)
 
Line 2: Line 2:
[[Category:HI/अमृत वाणी - १९७३]]
[[Category:HI/अमृत वाणी - १९७३]]
[[Category:HI/अमृत वाणी - दिल्ली]]
[[Category:HI/अमृत वाणी - दिल्ली]]
{{Audiobox_NDrops|HI/Hindi - श्रील प्रभुपाद की अमृत वाणी|<mp3player>https://s3.amazonaws.com/vanipedia/Nectar+Drops/731111SB-DELHI_ND_01.mp3</mp3player>|"हम, जीव, हम ईश्वर के अंश और हिस्सा हैं। ममैवांशो  जीवभूतः।([[Vanisource:BG 15.7 (1972)|।भ.गी १५.७]]).। जीव-भूतः, जीव, सभी जीव, जीवित संस्थाएं, वे हैं कृष्ण या भगवान का हिस्सा और अंश जब हम 'कृष्ण' की बात करते हैं, तो इसका अर्थ है ईश्वर। भगवान के कई हजारों नाम हैं, लेकिन यह एक नाम प्रमुख है। कृष्ण का अर्थ है 'सर्व-आकर्षक'। कृष्ण सभी को आकर्षित करते हैं। या जो हर किसी को आकर्षित करता है, वह भगवान है।”|Vanisource:731111 - Lecture SB 01.02.06 - Delhi|731111 - प्रवचन श्री भा ०१.०२.०६ - दिल्ली}}
<!-- BEGIN NAVIGATION BAR -- DO NOT EDIT OR REMOVE -->
{{Nectar Drops navigation - All Languages|Hindi|HI/731110b बातचीत - श्रील प्रभुपाद दिल्ली में अपनी अमृतवाणी व्यक्त करते हैं|731110b|HI/731113 प्रवचन - श्रील प्रभुपाद दिल्ली में अपनी अमृतवाणी व्यक्त करते हैं|731113}}
<!-- END NAVIGATION BAR -->
{{Audiobox_NDrops|HI/Hindi - श्रील प्रभुपाद की अमृत वाणी|<mp3player>https://s3.amazonaws.com/vanipedia/Nectar+Drops/731111SB-DELHI_ND_01.mp3</mp3player>|"हम, जीव, हम ईश्वर के अंश और हिस्सा हैं। ममैवांशो  जीवभूतः।([[HI/BG 15.7|।भ.गी १५.७]]).। जीव-भूतः, जीव, सभी जीव, जीवित संस्थाएं, वे हैं कृष्ण या भगवान का हिस्सा और अंश जब हम 'कृष्ण' की बात करते हैं, तो इसका अर्थ है ईश्वर। भगवान के कई हजारों नाम हैं, लेकिन यह एक नाम प्रमुख है। कृष्ण का अर्थ है 'सर्व-आकर्षक'। कृष्ण सभी को आकर्षित करते हैं। या जो हर किसी को आकर्षित करता है, वह भगवान है।”|Vanisource:731111 - Lecture SB 01.02.06 - Delhi|731111 - प्रवचन श्री भा ०१.०२.०६ - दिल्ली}}

Latest revision as of 06:03, 25 January 2021

HI/Hindi - श्रील प्रभुपाद की अमृत वाणी
"हम, जीव, हम ईश्वर के अंश और हिस्सा हैं। ममैवांशो जीवभूतः।(।भ.गी १५.७).। जीव-भूतः, जीव, सभी जीव, जीवित संस्थाएं, वे हैं कृष्ण या भगवान का हिस्सा और अंश जब हम 'कृष्ण' की बात करते हैं, तो इसका अर्थ है ईश्वर। भगवान के कई हजारों नाम हैं, लेकिन यह एक नाम प्रमुख है। कृष्ण का अर्थ है 'सर्व-आकर्षक'। कृष्ण सभी को आकर्षित करते हैं। या जो हर किसी को आकर्षित करता है, वह भगवान है।”
731111 - प्रवचन श्री भा ०१.०२.०६ - दिल्ली