HI/760729 - मंत्रिणी को लिखित पत्र, पेरिस: Difference between revisions

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Letter to Mantrini devi dasi



29 जुलाई, 1976

मेरी प्रिय मंत्रिणी देवी दासी,

कृपया मेरे आशीर्वाद स्वीकार करो। मुझे तुम्हारी दिनांक 27 जुलाई, 1976 की 108 पाऊंड की भेंट प्राप्त हुई है और मैं उसके लिए तुम्हारा बहुत धन्यवाद करता हूँ। दरअसल तुम बिलकुल ठीक कह रही हो कि एक शिष्य के लिए अपने गुरु का ऋण चुका पाना असंभव है। इसीलिए एक शिष्य सदा-सर्वदा अपने गुरु का ऋणी रहता है और निरन्तर इस प्रकार से कार्य करता है कि उसकी निष्कपट सेवा से गुरुदेव उसपर कृपालु हों। हमेशा चार नियमों का पालन करो, प्रसादम् ग्रहण करो और सबसे महत्त्वपूर्ण रूप से, प्रतिदिन सोलह माला का जप करो। और इस प्रकार से भक्तियोग में तुम्हारी ठोस प्रगति होगी। इस आंदोलन का विश्वभर में प्रचार जारी रखो और इस प्रकार तुम स्वयं भी प्रसन्न हो जाओगी व अन्य लोगों को भी प्रसन्न बना दोगी।

मैं आशा करता हूँ कि यह तुम्हें अच्छे स्वास्थ्य में प्राप्त हो।

सर्वदा तुम्हारा शुभाकाँक्षी

(हस्ताक्षरित)

ए.सी.भक्तिवेदान्त स्वामी

एसीबीएस/पीकेएस