HI/BG 11.9: Difference between revisions

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:सञ्जय उवाच
 
:एवमुक्त्वा ततो राजन्महायोगेश्वरो हरिः ।
:दर्शयामास पार्थाय परमं रूपमैश्वरम् ॥९॥
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Latest revision as of 08:55, 8 August 2020

His Divine Grace A.C. Bhaktivedanta Swami Prabhupāda


श्लोक 9

सञ्जय उवाच
एवमुक्त्वा ततो राजन्महायोगेश्वरो हरिः ।
दर्शयामास पार्थाय परमं रूपमैश्वरम् ॥९॥

शब्दार्थ

सञ्जय: उवाच—संजय ने कहा; एवम्—इस प्रकार; उक्त्वा—कहकर; तत:—तत्पश्चात्; राजन्—हे राजा; महा-योग-ईश्वर:—परम शक्तिशाली योगी; हरि:—भगवान् कृष्ण ने; दर्शयाम् आस—दिखलाया; पार्थाय—अर्जुन को; परमम्—दिव्य; रूपम् ऐश्वरम्—विश्वरूप।

अनुवाद

संजय ने कहा – हे राजा! इस प्रकार कहकर महायोगेश्र्वर भगवान् ने अर्जुन को अपना विश्र्वरूप दिखलाया |