HI/Prabhupada 0271 - कृष्ण का नाम अच्युत है: Difference between revisions

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'''[[Vanisource:Lecture on BG 2.10 -- London, August 16, 1973|Lecture on BG 2.10 -- London, August 16, 1973]]'''
'''[[Vanisource:730807 - Lecture BG 02.07 - London|Lecture on BG 2.7 -- London, August 7, 1973]]'''
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तो गुणवत्ता वही है, लेकिन मात्रा अलग है । तो क्योंकि गुणवत्ता वही है, इसलिए भगवान के, कृष्ण की सभी प्रवृत्तियॉ हममे है । कृष्ण की प्रेम की प्रवृत्ति है उनकी अानन्द शक्ति, श्रीमती राधारानी के साथ । इसी तरह, हम कृष्ण का अभिन्न अंग हैं, हमारी भी यह प्रेम करने की प्रवृत्ति है । तो यह स्भाव है । लेकिन जब हम इस भौतिक प्रकृति के साथ संपर्क में आते हैं, ... कृष्ण भौतिक प्रकृति के संपर्क में नहीं आते हैं । इसलिए, कृष्ण का नाम अच्युत है । उनका कभी पतन नहीं होता है । लेकिन हमारे पतन होने के अासार हैं, किसी के तहत अाना... प्रकृते: क्रियमाणानि । अब हम प्रकृति के प्रभाव के तहत हैं. प्रकृते: क्रियमाणानि गुनै: कर्माणि सर्वश: ([[Vanisource:BG 3.27|भ गी ३।२७]]) जैसे ही हम इस प्रकृति के तहत अाते हैं, भौतिक प्रकृति, जिसका अर्थ है ... प्रकृति के तीन गुण, सत्व, रजस और तमस । तो हम इन गुणों में से एक पर कब्जा करते हैं । यही कारण है, कारणम गुण-संग ([[Vanisource:BG 13.22|भ गी १३।२२]]) । गुण-संग । मतलब है कि अलग गुणवत्ता के साथ जुड़ना । गुण-संग अस्य जीवस्य, जीव की । यही कारण है । कोई पूछ सकता है: "अगर जीव भगवान के जैसा ही अच्छा है, क्यों एक जीव कुत्ता बन गया है, और एक जीव देवता, भगवान, ब्रह्मा बन गया है? " अब जवाब है कारणम । कारण है गुण-संग अस्य । अस्य जीवस्य गुण-संग । क्योंकि वह एक विशेष गुण के साथ जुड़ रहा है । सत्व-गुण, रजो-गुण, तमो-गुण
तो गुणवत्ता वही है, लेकिन मात्रा अलग है । तो क्योंकि गुणवत्ता वही है, इसलिए भगवान की, कृष्ण की सभी प्रवृत्तियाँ हममें है । कृष्ण की प्रेम की प्रवृत्ति है उनकी अानन्द शक्ति, श्रीमती राधारानी के साथ । इसी तरह, हम कृष्ण का अभिन्न अंग हैं, हमारी भी यह प्रेम करने की प्रवृत्ति है । तो यह स्भाव है । लेकिन जब हम इस भौतिक प्रकृति के साथ संपर्क में आते हैं, ... कृष्ण भौतिक प्रकृति के संपर्क में नहीं आते हैं । इसलिए, कृष्ण का नाम अच्युत है । उनका कभी पतन नहीं होता है । लेकिन हमारे पतन होने के अासार हैं, किसी के तहत अाना... प्रकृते: क्रियमाणानि ।  


तो ये बातें उपनिषद में बहुत विस्तार से वर्णित हैं, गुण-संग कैसे कार्य करता है । जैसे आग की तरह । चिंगारी होती है । वह... कभी कभी चिंगारी आग से अलग हो जाती है । अब अाग से चिंगारी के नीचे गिरने की तीन शर्तें हैं । अगर चिंगारी सूखी घास पर गिरती है, तो वह तुरंत, घास को प्रज्वलित कर सकती है, सूखी घास को । अगर चिंगारी साधारण घास पर गिरती है, तो यह कुछ समय के लिए जलती है, फिर वह बुझा जाती है । लेकिन अगर चिंगारी पानी पर गिरती है , तुरंत बुझ जाती है, उसकी उग्र गुणवत्ता । तो जो सत्व-गुण के तहत हैं, सत्व-गुण, वे बुद्धिमान हैं । उन्हे ज्ञान मिल गया है । जैसे ब्राह्मण की तरह । और रजो-गुण के तहत हैं, वे भौतिक गतिविधियों में व्यस्त हैं । और जो तमो-गुण के तहत हैं, वे आलसी और नींद में हैं । बस । ये लक्षण हैं । तमो-गुण का मतलब है वे बहुत आलसी हैं और नींद में हैं । रजो-गुण का मतलब है बहुत सक्रिय, लेकिन बंदर की तरह सक्रिय । जैसे बंदर बहुत सक्रिय हैं, लेकिन वे बहुत खतरनाक होते हैं । जैसे ही ... बंदर, तुम उन्हे निष्क्रिय कभी नहीं देखोगे । जहॉ भी बैठेंगे वे करेंगे, "गैट, गैट, गैट, गैट, "
अब हम प्रकृति के प्रभाव के तहत हैं. प्रकृते: क्रियमाणानि गुणै: कर्माणि सर्वश: ([[HI/BG 3.27|भ.गी. ३.२७]]) | जैसे ही हम इस प्रकृति के तहत अाते हैं, भौतिक प्रकृति, जिसका अर्थ है ... प्रकृति के तीन गुण, सत्वगुण, रजोगुण और तमोगुण । तो हम इन गुणों में से एक को पकड़ते हैं । यही कारण है, कारणम्  गुण-संग ([[HI/BG 13.22|भ.गी. १३.२२]]) । गुण-संग ।  मतलब है कि अलग गुण के साथ जुड़ना । गुण-संगस्य जीवस्य,  जीव की । यही कारण है । कोई पूछ सकता है: "अगर जीव भगवान के जैसा ही अच्छा है, क्यों एक जीव कुत्ता बन गया है, और एक जीव देवता, भगवान, ब्रह्मा बन गया है? "
 
अब जवाब है कारणम् । कारण है गुण-संगस्य । अस्य जीवस्य गुण-संग । क्योंकि वह एक विशेष गुण के साथ जुड़ा है । सत्त्व-गुण,  रजो-गुण, तमो-गुण ।  तो ये बातें उपनिषद् में बहुत विस्तार से वर्णित हैं, गुण-संग कैसे कार्य करता है । जैसे आग की तरह । चिंगारी होती है । वह... कभी कभी चिंगारी आग से अलग हो जाती है । अब अाग से चिंगारी के नीचे गिरने की तीन शर्तें हैं । अगर चिंगारी सूखी घास पर गिरती है, तो वह तुरंत, घास को प्रज्जवलित कर सकती है, सूखी घास को । अगर चिंगारी साधारण घास पर गिरती है, तो यह कुछ समय के लिए जलती है, फिर वह बुझ जाती है ।  
 
लेकिन अगर चिंगारी पानी पर गिरती है , तुरंत उसकी उग्र गुणवत्ता बुझ जाती है । तो जो सत्त्व-गुण के तहत हैं, सत्त्व-गुण, वे बुद्धिमान हैं । उन्हें ज्ञान मिल गया है । जैसे ब्राह्मण की तरह । और जो रजो-गुण के तहत हैं, वे भौतिक गतिविधियों में व्यस्त हैं । और जो तमो-गुण के तहत हैं, वे आलसी और नींद में हैं । बस । ये लक्षण हैं । तमो-गुण का मतलब है वे बहुत आलसी हैं और नींद में हैं । रजो-गुण का मतलब है बहुत सक्रिय, लेकिन बंदर की तरह सक्रिय । जैसे बंदर बहुत सक्रिय होते हैं, लेकिन वे बहुत खतरनाक होते हैं । जैसे ही ... बंदर, तुम उन्हें निष्क्रिय कभी नहीं देखोगे । जहाँ भी बैठेंगे वे करेंगे, "गट, गट, गट, गट"
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Latest revision as of 12:35, 12 August 2021



Lecture on BG 2.7 -- London, August 7, 1973

तो गुणवत्ता वही है, लेकिन मात्रा अलग है । तो क्योंकि गुणवत्ता वही है, इसलिए भगवान की, कृष्ण की सभी प्रवृत्तियाँ हममें है । कृष्ण की प्रेम की प्रवृत्ति है उनकी अानन्द शक्ति, श्रीमती राधारानी के साथ । इसी तरह, हम कृष्ण का अभिन्न अंग हैं, हमारी भी यह प्रेम करने की प्रवृत्ति है । तो यह स्भाव है । लेकिन जब हम इस भौतिक प्रकृति के साथ संपर्क में आते हैं, ... कृष्ण भौतिक प्रकृति के संपर्क में नहीं आते हैं । इसलिए, कृष्ण का नाम अच्युत है । उनका कभी पतन नहीं होता है । लेकिन हमारे पतन होने के अासार हैं, किसी के तहत अाना... प्रकृते: क्रियमाणानि ।

अब हम प्रकृति के प्रभाव के तहत हैं. प्रकृते: क्रियमाणानि गुणै: कर्माणि सर्वश: (भ.गी. ३.२७) | जैसे ही हम इस प्रकृति के तहत अाते हैं, भौतिक प्रकृति, जिसका अर्थ है ... प्रकृति के तीन गुण, सत्वगुण, रजोगुण और तमोगुण । तो हम इन गुणों में से एक को पकड़ते हैं । यही कारण है, कारणम् गुण-संग (भ.गी. १३.२२) । गुण-संग । मतलब है कि अलग गुण के साथ जुड़ना । गुण-संगस्य जीवस्य, जीव की । यही कारण है । कोई पूछ सकता है: "अगर जीव भगवान के जैसा ही अच्छा है, क्यों एक जीव कुत्ता बन गया है, और एक जीव देवता, भगवान, ब्रह्मा बन गया है? "

अब जवाब है कारणम् । कारण है गुण-संगस्य । अस्य जीवस्य गुण-संग । क्योंकि वह एक विशेष गुण के साथ जुड़ा है । सत्त्व-गुण, रजो-गुण, तमो-गुण । तो ये बातें उपनिषद् में बहुत विस्तार से वर्णित हैं, गुण-संग कैसे कार्य करता है । जैसे आग की तरह । चिंगारी होती है । वह... कभी कभी चिंगारी आग से अलग हो जाती है । अब अाग से चिंगारी के नीचे गिरने की तीन शर्तें हैं । अगर चिंगारी सूखी घास पर गिरती है, तो वह तुरंत, घास को प्रज्जवलित कर सकती है, सूखी घास को । अगर चिंगारी साधारण घास पर गिरती है, तो यह कुछ समय के लिए जलती है, फिर वह बुझ जाती है ।

लेकिन अगर चिंगारी पानी पर गिरती है , तुरंत उसकी उग्र गुणवत्ता बुझ जाती है । तो जो सत्त्व-गुण के तहत हैं, सत्त्व-गुण, वे बुद्धिमान हैं । उन्हें ज्ञान मिल गया है । जैसे ब्राह्मण की तरह । और जो रजो-गुण के तहत हैं, वे भौतिक गतिविधियों में व्यस्त हैं । और जो तमो-गुण के तहत हैं, वे आलसी और नींद में हैं । बस । ये लक्षण हैं । तमो-गुण का मतलब है वे बहुत आलसी हैं और नींद में हैं । रजो-गुण का मतलब है बहुत सक्रिय, लेकिन बंदर की तरह सक्रिय । जैसे बंदर बहुत सक्रिय होते हैं, लेकिन वे बहुत खतरनाक होते हैं । जैसे ही ... बंदर, तुम उन्हें निष्क्रिय कभी नहीं देखोगे । जहाँ भी बैठेंगे वे करेंगे, "गट, गट, गट, गट"।