HI/610320 - वैज्ञानिक अनुसंधान और सांस्कृतिक मामलों के मंत्रालय को लिखित पत्र, कटक

वैज्ञानिक अनुसंधान और सांस्कृतिक मामलों के मंत्रालय को पत्र (पृष्ठ 1 of 2) (Text Missing at End)
वैज्ञानिक अनुसंधान और सांस्कृतिक मामलों के मंत्रालय को पत्र (पृष्ठ 2 of 2)


दिनांक : २०/०३ /१९६१

प्रेषक : त्रिदंडी गोस्वामी अभय चरण भक्तिवेदांत स्वामी

क्रमांक. १/८५९, केशी घाट, (वृंदावन) मथुरा, उ. प्र.


प्राप्तकर्ता :

सचिव,

वैज्ञानिक अनुसंधान और सांस्कृतिक मंत्रालय

भारत सरकार, नई दिल्ली

श्रीमान, मैं आपको सूचित करना चाहता हूं कि मेरा संन्यास आश्रम जीवन मानव आत्मा के सांस्कृतिक विज्ञान की शोध की सेवा में समर्पित है। मैं इस तरह से कई पुस्तकों का लेखक हूं और मेरी पुस्तिका "अन्य ग्रहों की सुगम यात्रा" पर दिल्ली विश्वविद्यालय के कुलपति डॉ. एन.के.सिद्धांत द्वारा प्रस्तावना की प्रति आपके अवलोकन के लिए भेज दिया है।

जैसे कि ९ मुझे १९६१ के मई महीने में जापान में आयोजित होने वाली द कल्चरिंग ह्यूमन स्पिरिट सम्मेलन के आयोजकों द्वारा आमंत्रित किया गया है। आपके संदर्भ के लिए बोना फाइड्स की प्रति भी भेजी है।

मैं एक संन्यासी हूं और मेरा जीवन का उद्देश जीवन के आध्यात्मिक दृष्टिकोण को विकसित करने के विचार को प्रचारित करना है जो अकेले मानव समाज की शांति और समृद्धि ला सकता है।

मैं जापान में मानव आत्मा के संवर्धन सम्मेलन में अंतरराष्ट्रीय स्तर पर शामिल होने वाले उन प्रतिनिधियों को इस उद्देश्य के लिए एक अंतरराष्ट्रीय आंदोलन की आवश्यकता के बारे में दुनिया के सभी प्रबुद्ध लोगों के सहयोग के बारे में प्रभावित करना चाहता हूं ।

जापानी आयोजक मेरे खर्चों को पूरा करने के लिए सहमत हुए हैं जैसा कि आप इसे संलग्न कागजात से पाएंगे तथा इस सम्मेलन में भाग लेने के लिए बस मुझे जापान भेजने की मैं मदद मांग रहा हूं।

मैं आपको इस संबंध में सूचित करना चाहता हूं कि निम्नलिखित सज्जन मुझे तथा साहित्यिक व्यवसाय में मेरी सांस्कृतिक गतिविधियों के बारे में अच्छी तरह से जानते हैं ।

1. भारत के उपराष्ट्रपति डॉ.एस. राधाकृष्णन

2. डॉ. एच. के. महताब

3. भागीरथी महापात्र म.प्र

मुझे ९ मई १९६१ को या उससे पहले जापान (टोक्यो) पहुंचना चाहिए और मैं आपसे इस संबंध में सहायता और सुविधाएं देने का अनुरोध करूंगा।

आपके शीघ्र जवाब कि प्रतीक्षा है तथा प्रत्याशा में आपको धन्यवाद

आपका आभारी,

ए.सी. भक्तिवेदांत स्वामी