HI/670107b प्रवचन - श्रील प्रभुपाद न्यूयार्क में अपनी अमृतवाणी व्यक्त करते हैं

HI/Hindi - श्रील प्रभुपाद की अमृत वाणी
"यदि कोई यह तर्क देता है, "ओह, अगर मैं खुद को पूरी तरह से कृष्ण की सेवा में लगाता हूँ, तो मैं फिर क्या करू? मैं इस भौतिक दुनिया में कैसे रहूँगा? कौन मेरे रखरखाव का ख्याल रखेगा?" यह हमारी मूर्खता है। यदि आप यहां एक सामान्य व्यक्ति की सेवा करते हैं, तो आपको अपना रखरखाव मिलता है; आप अपनी मजदूरी, डॉलर प्राप्त करते हैं। आप इतने मूर्ख हैं कि आप कृष्ण की सेवा करने जा रहे हैं और वह आपका पालन नहीं करेंगे? योगक्षेमं वहामि अहम (भ.गी. ९.२२)। कृष्ण भगवद गीता में कहते हैं कि "मैं स्वयं उनकी आवश्यकताओं को पूरा करता हूँ।" आपको ऐसा विश्वास क्यों नहीं है? व्यावहारिक रूप से आप इसे देख सकते हैं।"
670107 - प्रवचन चै.च. मध्य २२.५ - न्यूयार्क