HI/670214 - ब्रह्मानन्द को लिखित पत्र, सैंन फ्रांसिस्को

Letter to Brahmananda


अंतर्राष्ट्रीय कृष्णभावनामृत संघ इंक. 26 सेकेण्ड ऐवेन्यू, न्यू यॉर्क,एन.वाई 10003 टेलीफोन: 674-7428

शाखा 518 फ्रेड्रिक स्ट्रीट
सैन फ्रांसिस्को,कैलिफोर्निया
14 फरवरी, 1967

आचार्य:स्वामी ए.सी. भक्तिवेदान्त
न्यासी:
लैरी बोगार्ट
जेम्स एस ग्रीन
कार्ल एयरगन्स
राफेल बालसम
रॉबर्ट लेफकोविट्ज़
रेमंड माराइस
स्टेनली मोगकोविट्ज़
माइकल ग्रांट
हार्वे कोहेन


मेरे प्रिय ब्रह्मानन्द,

कृपया मेरे आशीर्वाद स्वीकार करो और उन्हें तुम्हारे गुरुभाईयों व बहनों को भी दो। कल रात तुम्हारे साथ टेलीफोन पर हुई बातचीत व 1० फरवरी के तुम्हारे पत्र के संदर्भ में मैं तुम्हें बताना चाहुंगा कि सैन फ्रांसिस्को शाखा एक अलग अस्तित्व के तौर पर कार्य करेगी और न्यु यॉर्क संस्थान को इस मामले में किसी प्रकार का जोखिम नहीं उठाना है।

मुझे मि.अल्टमैन का पत्र भी मिला है और मैं उनकी इच्छानुसार कार्य करुंगा। तो तुम अल्टमैन के 200 डॉलर एवं 6000 डॉलर मिला कर 6200 डॉलर, ट्रेड बैंक एण्ड ट्रस्ट कंपनी में मेरे बचत खाता संख्या 19282 में ट्रांस्फर कर सकते हो। ट्रांस्फर पत्र यहां संलग्न है। यह पत्र मेरे द्वारा हस्ताक्षर किया जा चुका है और तुम भी इस पर हस्ताक्षर करो और इसे बैंक के सुपुर्द कर दो। वे आवश्यक कदम उठाएंगे। जैसे ही मकान की खरीद के लिए एक सेल कॉन्ट्रैक्ट बन जाएगा, मैं यह 6000 डॉलर आगे ट्रांस्फर कर दूंगा। तबतक यह मेरे बचत खाते में रहेगा।

जब एक वास्तविक सेल कॉन्ट्रैक्ट पर हस्ताक्षर हो जाएंगे, तब मैं सैन फ्रांसिस्को शाखा से १००० डॉलर का योगदान करवा लूंगा। इस बात से तुम निश्चिंत रहो।

यहां के भक्तों व ट्रस्टियों का मत है कि बिना किसी पक्की बात के 1000 डॉलर का जोखिम ले लिया गया है। मैं जानता हूँ तुम अपनी पूरी कोशिश कर रहे हो, लेकिन फिर भी निर्णय लेने मे त्रुटि हुई है। मैं तुमसे बिलकुल भी नाराज़ नहीं हूँ, किन्तु वे कहते हैं कि मि. पेयन किसी भी हाल में किसी और स्रोत से आर्थिक मदद नहीं ले पाएगा। वह विभिन्न बहानों से बस समय व्यतीत कर रहा है। इसलिए जो कुछ तुमने दे दिया है उससे अधिक तुम्हें एक पैसा भी और नहीं देना चाहिए। यदि वह और धन मांगे तो तुम्हें साफ मना कर देना चाहिए।

कीर्त्तनानन्द का न्यु यॉर्क में मौजूद रहना आवश्यक है। इसलिए मैंने उसकी मॉन्ट्रियल यात्रा टाल दी है। यहां के मित्रों की यह राय मैंने मान ली है कि वर्त्तमान स्थिति में अनेकानेक शाखाओं को खोल लेने से हमारे ऊपर बहुत अधिक भार आ जाएगा। हमने ये जो दो स्थान पहले खोल लिए हैं, अभी हम इन्हीं को मज़बूत करेंगे। और इसके अतिरिक्त, मॉन्ट्रिएल शाखा को धन व आदमियों की आवश्यकता है, जो कि हम फिलहाल नहीं दे पाएंगे।

डिक्टाफोन के संदर्भ में तुम्हारे नोट पर ध्यान दिया गया है। मशीन में कुछ गड़बड़ी होने के कारण उसे मरम्मत के लिए भेजा गया है। इसी बीच, मेरे कार्य के लिए उन्होंने एक और मशीन मुहैय्या करवा दी है। अब मेरे पास मात्र पांच टेप हैं। और तीन की आवश्यकता है। नील यहां नहीं आया है। हरे कृष्ण जप कर प्रसन्न रहो। हम सब कृष्ण द्वारा सुरक्षित हैं। निश्चिंत रहो।

सर्वदा तुम्हारा शुभाकांक्षी,

(हस्ताक्षरित)

संलग्न-1