HI/670412 - मि. डमबर्ग्स (सीनियर) को लिखित पत्र, न्यू यॉर्क

His Divine Grace A.C. Bhaktivedanta Swami Prabhupāda



12 अप्रैल, 1967


प्रिय मि.सीनियर डमबर्ग्स,

कृपया मेरे अभिवादन स्वीकार कीजिए। आपके लिए मैं अनजान हूँ, पर मैं आपके बारे में, आपके सुपौत्र श्रीमान् जनार्दन(जेनिस), से सुन चुका हूँ। मैंने सुना है कि आप बहुत लंबे समय से बीमार हैं। लेकिन मैंने यह भी सुना है कि आप प्रभू जीसस क्राईस्ट एक बहुत बड़े भक्त हैं। यह बहुत अच्छी बात है। मैं भी प्रभू जीसस क्राईस्ट का एक मामूली सा सेवक हूँ, चूंकि मैं भी उसी संदेश का प्रचार कर रहा हूँ, जिसका प्रभू जीसस ने किया था। मैं भग्वद्भावना अथवा कृष्णभावनामृत का प्रचार कर रहा हूँ। बेवकूफों ने सोचा था कि प्रभू जीसस क्राईस्ट की सूली पर चढ़ाए जाने के कारण मृत्यु हो गई, पर वे पुनर्जीवित हो उठे। सभी जीवात्माएं, परम भगवान के अंश हैं। और इसलिए वे सभी शाश्वत हैं। हमारी सभी बीमारियां बाह्य शरीर के कारण ही हैं। हालांकि हमें कभी-कभी शारीरिक कष्टों को, विशेषकर वृद्धावस्था में, भोगना पड़ता है, फिर भी यदि हम भगवद्भावना में स्थित हैं, तो हमें कष्ट नहीं होगा। इसलिए सबसे अच्छा यह है कि भगवान के नाम का निरन्तर जप किया जाए। मेरा आप से अनुरोध है कि सर्वदा भगवान के दिव्य नाम का जप करते रहें। हम भगवान के नाम का जप कर रहे हैं और हमारे छात्रों से भी ऐसा करने के निर्देश दे रहे हैं। यदि आपके पास भगवान के लिए कोई नाम है तो उनका सद जप कीजिए और इससे आपको सर्वोत्तम लाभ होगा। और इस प्रकार जप करने से जब आप उनको हमेशा स्मरण करते रहेंगे तो भगवान के साम्राज्य में आपका स्थानान्तरण होना निश्चित है। जब आपके भगवान के साम्राज्य में लौट जाएंगे तो इस कष्टों से भरे सड़े हुए जगत में वापस लौटने की कोई आवश्यकता नहीं है। हम भगवान के नामों का जप इस प्रकार करते हैं

हरे कृष्ण हरे कृष्ण कृष्ण कृष्ण हरे हरे

हरे राम हरे राम राम राम हरे हरे

भगवान के लाखों दिव्य नाम हैं और आप उनमें से किसी भी एक नाम का जप कर सकते हैं। और उनमें से प्रत्येक में पूरी शक्ति है। हम उपरोक्त नाम का जप इसलिए करते हैं, क्योंकि कृष्णभावनामृत आंदोलन के पिता, भगवान चैतन्य ने इस नाम का जप किया था। हम तुरन्त फल प्राप्त करने के लिए भगवान चैतन्य के चरणचिन्हों का अनुसरण करते हैं। मैं आपको सुझाव देना चाहुंगा कि आप भी इस सिद्धान्त का अनुसरण करें। कृष्ण का अर्थ है सर्वाकर्षक-रसागार। कौन है जो ऐसे आनन्द को नहीं पाना चाहता। इसलिए हम केवल कृष्ण चाहते हैं, और इसके अलावा और कुछ नहीं।

आशा है कि आप मुझ ठीक तरह से समझेंगे। कृष्ण आपको पूरी मानसिक शान्ति प्रदान करें। आप कितने भाग्यवान हैं कि आपके अच्छे परिवार के वंशज के रूप में आपके पास जेनिस जैसा इतना अच्छा लड़का है। वह, कृष्णभावनाभावित बनकर, आपको व आपके परिवार को सबसे महान सेवा अर्पण करेगा,

बहुत निष्ठापूर्वक आपका

ए.सी.भक्तिवेदान्त स्वामी