HI/680116 - ब्रह्मानन्द को लिखित पत्र, लॉस एंजिलस

ब्रह्मानन्द को पत्र


ए.सी. भक्तिवेदांत स्वामी
शिविर: इस्कॉन राधा कृष्ण मंदिर
५३६४, डब्ल्यू. पिको ब्लाव्ड., लॉस एंजिल्स, कैल. ९००१९

१६ जनवरी, १९६८



मेरे प्रिय ब्रह्मानंद,

कृपया मेरे आशीर्वाद को स्वीकार करो। मैं, ११ जनवरी, १९६८, के दिनांकित, तुम्हारे और मेन्नो हेर्ट्ज़ बर्ग के पत्रों का प्रापक बन चुका हूँ। मुझे लगता है कि यह आदमी हमारे किताबों के छपाई के लिए उपयुक्त नहीं होगा। जापान के डायनपॉन प्रिंटर्स से जवाब मिलना, मेरे लिए हर्षउन्माद का विषय होगा। श्रीमान क्रिम्पेन के पत्र से यह समझ आता है कि भारत, हॉन्ग कॉन्ग और ऐसे देशों में मुद्रण काफी सस्ता है।

श्री कल्मन जी का सुझाव, जो की कृष्ण चेतना से संबंधित एक किट का निर्माण करना था, बहुत ही अच्छा है। कृपया इस विचार को जल्द से जल्द पूरा करने का प्रयास करें। चूंकि मैकमिलन कंपनी द्वारा प्रकाशित भगवद गीता को तैयार होने में अभी भी समय है, श्री कल्मन जी, S.F. इतनी जल्दी नही जा पाएंगे। मुझे मार्च के अंत या अप्रैल की शुरुआत तक, N.Y. लौटने की उम्मीद है। उस समय, वे ३ स्वरधर यन्त्र रिकार्डे में कृष्ण चेतना के भाषण की रिकॉर्डिंग ले सकते हैं।

व्रजवासी प्रसंग के विषय में: आप पत्र की प्रतियाँ और उनकी स्वीकृति रसीद श्रीमान हितसरनज शर्मा को भेज सकतें हैं – इस पते पर: पंडित हितसरनज शर्मा; राधा प्रेस, मेन रोड; कैलाश नगर; दिल्ली -३१, भारत। आप उन्हें व्रजवासी कंपनी के व्यवहार के बारे में लिख सकते हैं, और मेरे नाम पर इसे बहुत गंभीरता से लेने का अनुरोध कर सकते हैं। वे एक सम्माननीय व्यवसाय-संघ हैं; वे इस मामले में सुस्त क्यों हैं? अगर उनका कोई अविश्वसनीय भयावह मकसद है, तो हमें उनके खिलाफ कदम उठाने होंगे। हितसरन शर्मा से अनुरोध करो कि वे इस मामले को गंभीरता से लें और उनकी अभिलेख के आधार पर हम आवश्यक कदम उठाएंगे। हितसरनजी अपने छोटे भाई को यह मामला उठाने का निर्देश दे सकते हैं। मैं हितसरनजी के लिए एक पत्र भी प्रस्तुत कर रहा हूं जिसे तुम अपने पत्र के साथ संलग्न कर देना।

जहाँ तक भट्टाचार्य एम्पोरियम के पत्र की बात है: मैंने आवश्यक कार्रवाई के लिए मुकुंद को उसकी प्रीति सौंप दी है। भट्टाचार्य के शुल्क काफी अधिक हैं और जैसा कि मैंने तुम्हे पहले ही सूचित कर दिया था, भारत से हमारे सामानों की आपूर्ति की पूरी व्यवस्था हो चुकी है। मैंने सब कुछ व्यवस्थित कर दिया है; कोई कठिनाई नहीं होगी। सबसे पहले तुम तय करो कि क्या तुम सामान आयात करना चाहते हो की नही, उसके बाद मैं तुम्हे निर्देश देना शुरू करूँगा। व्यवस्था पूरी है। कपड़े, धूप, अगरबत्ती, संगीत वाद्ययंत्र, इत्यादि, आयात करने में कोई कठिनाई नहीं होगी। आयात करने की व्यवस्था और गाड़ी भाड़ा, दोनो प्रस्तुत हैं, अब यह तय करो कि तुम क्या आयात करना चाहते हो, तत्पश्चात मैं तुम्हे निर्देश दूंगा।

मैं यह भी जानने के लिए उत्सुक हूं कि क्या मैकमिलन अनुबंध पर हस्ताक्षर कर $१००० का मूल्य देने को राज़ी है?

मुझे क्वींस कॉलेज की प्रतियां N.Y. लेख और उनके पत्र में मिलीं। यह बहुत उत्साहजनक है।

आशा है कि तुम अच्छे हो।

आपका नित्य शुभचिंतक,

ए.सी. भक्तिवेदांत स्वामी
संलग्नक-१ [हस्तलिखित]

ध्यान दीजिये गर्गमुनी बर्कले में एक केंद्र का आयोजन कर रहे हैं और हम इसे बहुत जल्द खोलेंगे। [अस्पष्ट] [हस्तलिखित]