HI/680323b सुबह की सैर - श्रील प्रभुपाद सैन फ्रांसिस्को में अपनी अमृतवाणी व्यक्त करते हैं

HI/Hindi - श्रील प्रभुपाद की अमृत वाणी
जो लोग बहुत अधिक रजोगुण में हैं, वे इस ग्रह में रहने के लिए हैं । इस दुनिया की तरह कई अन्य ग्रह हैं । तो उन्हें यहां रहने की अनुमति है । यहां सभी जीव बहुत अधिक राजसिक हैं । अधो गच्छन्ति तामसाः (भ.गी. १४.१८) । और अन्य ग्रह भी हैं, वे इस पृथ्वी से नीचे, काले ग्रह हैं । और जानवर, वे अज्ञानता में हैं । हालांकि वे इस उद्यान में हैं, लेकिन वे नहीं जानते कि वे कहां हैं, अज्ञानता में है । उनका ज्ञान विकसित नहीं है । यह तमोगुण का परिणाम है । और जो लोग कृष्ण भावनाभावित हैं, वे न तो तमस में हैं, न रजस में, न ही सत्व में । वे दिव्य हैं । इसलिए यदि कोई कृष्ण भावनामृत को अच्छी तरह से विकसित करता है, तो उसे तुरन्त कृष्णलोक के लिए पदोन्नति प्राप्त होती है । इसी की अपेक्षा है ।
680323 - सुबह की सैर - सैन फ्रांसिस्को