HI/680623 प्रवचन - श्रील प्रभुपाद मॉन्ट्रियल में अपनी अमृतवाणी व्यक्त करते हैं

HI/Hindi - श्रील प्रभुपाद की अमृत वाणी
क्या आपको लगता है कि पूर्व दिशा सूर्य की माता है ? क्योंकि सूर्य का जन्म पूर्व से हुआ है, आप ये स्वीकार कर सकते हैं कि पूर्व दिशा सूर्य की मां है । इसी तरह, कृष्ण भी इसी तरह से प्रकट होते हैं, लेकिन इसका मतलब यह नहीं है की उनका जन्म हुआ है । यह भगवद गीता के चौथे अध्याय में कहा गया है: जन्म कर्म च मे दिव्यमेवं यो जानाति तत्त्वतः । 'जो कोई भी मैं अपना जन्म कैसे लेता हूं, मैं कैसे कार्य करता हूं, मैं कैसे दिव्य हूं - इसको सत्य में समझता है...' केवल इन तीन बातों को जानके - कृष्ण का जन्म कैसे हुआ, और वे कैसे कार्य करते हैं और उनकी वास्तविक स्थिति क्या है - उसका परिणाम है, त्यक्त्वा देहं पुनर्जन्म नैति मामेति सो अर्जुन (भ.गी. ४.९) 'मेरे प्रिय अर्जुन, बस इन तीन चीज़ो को जान लेने से व्यक्ति इस भौतिक शरीर को छोड़ने के बाद मेरे पास आ जाता है ।' पुनर्जन्म नैति: 'वह फिर कभी नहीं लौटता '। तो इसका मतलब है कि दूसरे शब्दों में, यदि आप कृष्ण के जन्म को समझ सकते हैं, तो आप अपने आगे के जन्मो को रोक देंगे । आप इस जन्म और मृत्यु से मुक्त हो जाओगे । तो समझने की कोशिश करो कि कृष्ण अपना जन्म कैसे लेते हैं ।
680623 - प्रवचन श्री.भा. ७.६.६-९ - मॉन्ट्रियल