HI/680914 प्रवचन - श्रील प्रभुपाद सैन फ्रांसिस्को में अपनी अमृतवाणी व्यक्त करते हैं

HI/Hindi - श्रील प्रभुपाद की अमृत वाणी
भगवद गीता में आप देखेंगे कि इस जप या कीर्तन को निरंतर करने की सलाह दी जाती है । सततम । सततम मतलब हमेशा । या तो अपूर्ण अवस्था में या पूर्ण अवस्था में, प्रक्रिया एक है । यह मयावाद की तरह नहीं है, कि सबसे पहले आप जप करते हैं, और जप करने से, जब आप स्वयं भगवान बन जाते हैं, तो कोई जप नहीं करना है । यह मायावाद दर्शन है । यह वास्तविक स्थिति नहीं है । जप या कीर्तन आपके उच्चतम पूर्ण चरण में भी जारी रहेगा ।
680914 - प्रवचन अंश - सैन फ्रांसिस्को