HI/681002 प्रवचन - श्रील प्रभुपाद सिएटल में अपनी अमृतवाणी व्यक्त करते हैं

Nectar Drops from Srila Prabhupada
ज़रा समझने का प्रयास करें । टाइप करने की मशीन का यदि एक भी पेच ग़ायब है, तो तुम्हारी मशीन सुचारू रूप से काम नहीं करेगी । आप मशीन ठीक करवाने कारीगर की दुकान पर जायेंगे और अगर वह तुम से दस डालर माँगता है तो आप उसे तुरन्त दे देंगे । वह पेच जब उस मशीन से बाहर था तो उसकी क़ीमत एक दमड़ी भी नहीं थी । उसी प्रकार हम सभी उस परम भगवान् के अंश हैं । यदि हम भगवान् के लिए कार्य करेंगे, अर्थात कृष्ण भावना या भगवद् भावना से काम करेंगे कि 'मैं परम भगवान् का अंश हूँ...' जैसे मेरी यह अंगुली शरीर की भावना से कार्य करती है; जब भी कभी थोड़ी सा भी दर्द होता है तो मैं महसूस कर सकता हूँ । उसी प्रकार यदि तुम स्वयं को कृष्ण भावना में लीन कर लो, तो अर्थ यह हुआ कि तुम सामान्य स्थिति में हो, तुम्हारा जीवन सफ़ल है । और जैसे ही तुम कृष्ण भावना से विलग हुए, त्यों ही कष्ट आ जाते हैं । इस कक्षा में हम बहुत से उदाहरणों को प्रस्तुत करते हैं । तो यदि हम सामान्य स्थिति में रहना चाहते है और प्रसन्न रहना चाहते हैं तो हमें कृष्ण भावना को अपनाना ही होगा ।
681002 - प्रवचन - सिएटल