HI/681030 प्रवचन - श्रील प्रभुपाद लॉस एंजेलेस में अपनी अमृतवाणी व्यक्त करते हैं

HI/Hindi - श्रील प्रभुपाद की अमृत वाणी
"इस भौतिक जगत में कभी-कभी सतोगुण में रजोगुण और तमोगुण मिश्रित होता है। परंतु अध्यात्मिक जगत में शुद्ध सत्त्वगुण होता है - रजोगुण और तमोगुण लेश मात्र भी नहीं पाया जाता। इसलिए उसे शुद्ध सत्त्वगुण कहते हैं। सत्त्वं विशुद्धं वसुदेवशब्दितं(श्रीमद्भागवतम ₹.३.२३): “उस शुद्ध सत्त्व को वसुदेव कहा जाता है, और उस शुद्ध सत्त्व में भगवान की अनुभुति की जा सकती है।" इसलिए भगवान का नाम वासुदेव है अर्थात "वसुदेव से उत्पन्न"। वसुदेव वासुदेव के पिता हैं। इसलिए जबतक हम, रजोगुण और तमोगुण के बिना शुद्ध सत्त्वगुण के स्तर पर नहीं आते, भगवान की अनुभुति करना संभव नहीं है।"
681030 - प्रवचन ईशो १ - लॉस एंजेलेस