HI/690511d बातचीत - श्रील प्रभुपाद कोलंबस में अपनी अमृतवाणी व्यक्त करते हैं

HI/Hindi - श्रील प्रभुपाद की अमृत वाणी
"यह कृष्ण नाम और कृष्ण, अभिन्न। इसलिए अगर हम कृष्ण नाम का उच्चारण करते हैं, तो हम तुरंत कृष्ण से सम्बन्ध जोड़ लेते हैं, और अगर कृष्ण उत्तमोत्तम हैं, तो तुरंत मेरी आत्मा भी पवित्र हो जाती है। जैसे की आप बिजली को छूते हैं, तुरंत विद्युतीकृत हो जाते हैं। और जितना अधिक आप विद्युतीकृत होते हैं, उतने ही आप कृष्णईज़्ड हो जाते हैं। तो जब आप पूरी तरह से कृष्णईज़्ड हो जाते हैं, तो आप कृष्ण के करीब आ जाते हैं। त्यक्तवा देहम पुनर जन्म नैति माम ऐति कौन्तेय (भ.गी ४.९), फिर पूरी तरह से कृष्णईज़्ड, इस भौतिक अस्तित्व में फिर से नहीं आना पड़ेगा। वह कृष्ण के साथ वास करेगा।"
690511 - एलन गिन्सबर्ग के साथ वार्तालाप - कोलंबस