HI/690712 प्रवचन - श्रील प्रभुपाद लॉस एंजेलेस में अपनी अमृतवाणी व्यक्त करते हैं

HI/Hindi - श्रील प्रभुपाद की अमृत वाणी
“ अगर आप सोचते है ....,, अगर कोई बँदी ये सोचता है कि “ मे इस बंदिग्रह मे हूँ । मे बंदिग्रह के प्रधान को कहता हू कि मेरा कक्ष बदल दिया जाए और मे खुश हो जाऊँगा,” तो ये एक ग़लत विचार होगा । कोई भी तब तक खुश नही हो सकता जब तक वो बंदिग्रह की दीवारों मे है । मनुष्य को स्वतंत्र होना चाहिए । ये हमारे जीवन का उद्देश्य होना चाहिए । तो हम खुश होने का प्रयास कर रहे है अपना कक्ष बदलकर, इस “धर्म” से उस “धर्म”, पूँजीवाद से साम्यवाद, साम्यवाद से इस “धर्म” उस “धर्म । ये हमें खुश नही बनाएगा । आपको पुरी तरह से बदलना होगा इस “धर्म” से भौतिकवाद से बस । तभी आप खुश होंगे । यही हमारा कृष्ण भावनामृत है ।”
690712 - प्रवचन श्री.भा. - लॉस एंजेलेस