HI/700309 - गोपाल कृष्ण को लिखित पत्र, लॉस एंजिलस

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त्रिदंडी गोस्वामी

ए.सी. भक्तिवेदांत स्वामी

संस्थापक-आचार्य:
अंतर्राष्ट्रीय कृष्णभावनामृत संघ
1975 सो ला सिएनेगा बुलेवर्ड
लॉस एंजिल्स, कैलिफोर्निया 90034

9 मार्च, 1970

मेरे प्रिय गोपाल कृष्ण,

कृपया मेरे आशीर्वाद स्वीकार करो। मुझे तुम्हारा दिनांक 3 मार्च का पत्र मिला है और मैंने इसपर ध्यान दिया है।

फ्रांसीसी “बैक टू गॉडहेड” के प्रकाशन के बारे में तुम्हें बताना चाहुंगा कि वर्तमान स्थिति में तुम बहुत उत्तम कार्य कर रहे हो। मेरा मत यह है कि फ्रांसीसी भाषा में बीटीजी निकलती रहनी चाहिए, फिर चाहे अनियमित रूप से ही सही। तो इस प्रकार से तुम मेरी इच्छा पूरी कर रहे हो। जहां तक हमारे पैरिस केन्द्र की बात है, तो वह अभी तक शुरु नहीं हुआ है। श्यामसुन्दर व जॉर्ज हैरिस्सन अब आखिरकार वहां एक जगह ढ़ूंढ़ने के लिए गए हैं। हो सकता है कि भगवान की कृपा से अब वहां एक केन्द्र शुरु हो जाएगा।

यूरोप में हमारे प्रचार कार्य के लिए बड़ी-बड़ी योजनाएं तो अनेक हैं, खासकर संकीर्तन आंदोलन को बढ़ाने व हमारे साहित्य के प्रकाशन के संदर्भ में, परन्तु अभीतक कोई व्यावहारिक रूपरेखा नहीं है। ऐसी स्थिति में जो कुछ भी तुम कर रहे हो वह भले के लिए ही है। तो जबतक पैरिस में कुछ ठोस नहीं हो चलता, तुम यह कार्य जारी रखो---यह भगवान की एक महान सेवा है। मैं तुम्हारे प्रयास से अत्यन्त प्रसन्न हूँ।

अब, मुझे धन भेजने के बारे में, मैं तुम्हारा बहुत धन्यवाद करता हूँ कि तुम हमेशा कृष्ण के लिए व्यय करने को उत्सुक रहते हो और कृष्ण तुम्हें ऐसे अनेकोंनेक मौके देंगे जिनसे तुम अपना मेहनत से कमाया गया धन कृष्ण की सेवा में उपयोग में ला सको। मालुम होता है कि दफ्तर में तुम अभी जिस पद पर हो वह बहुत ही अच्छा है। तो मैं नहीं सोचता कि भारत में तुम्हें इससे अच्छी नौकरी मिलेगी। मगर यदि किसी प्रकार से तुम्हें अपनी मौजूदा कंपनी के काम से भारत लौटने का मौका मिल जाए, तो बहुत अच्छा होगा।

हमारे भारतीय केन्द्रों के मामले में हमे उम्मीद की किरण दिख रही है, चूंकि जैसा तुम्हें अच्युतानन्द ने बताया है, कलकत्ता में हमें एक बढ़िया भूखण्ड प्राप्त होने की आशा है। तो तुम, भारत में भवनों अथवा मन्दिरों के निर्माण के लिए, अधिक से अधिक धन एकत्रित कर सकते हो। इस के लिए जोड़ा गये धन को तुम या तो बैंक में एक अलग फिक्स्ड डिपॉज़िट के रूप में रख सकते हो अथवा भविष्य में उपयोग के लिए मुझे भेज सकते हो। मायापुर में भूमि क्रय करने के लिए मैं पहले ही अच्युतानन्द को धन भेज चुका हूँ---जोकि अभी तक क्रय नहीं करी गई है। ऐसी परिस्थितियों में तुम्हारे द्वारा स्वयं और धन भारत नहीं भेजा जाना चाहिए।

मैं यह जानकर बहुत प्रसन्न हूँ कि तुमने ”इलस्ट्रेटिड वीकली ऑफ इंडिया” में भजने के लिए एक लंबा लेख तैयार किया है। यह बहुत अच्छा है। यदि संभव हो तो भारत में प्रकाशन हेतु, हिन्दी या अंग्रेज़ी में, आगे और भी लेख लिखो।

शायद तुमने देखा होगा कि मैंने कनेडियन इम्पीरियल बैंक ऑफ कॉमर्स में अपना खाता बंद कर दिया है। तो जो भी धन तुम मुझे भेजना चाहो, उसे सीधे मेरे नाम पर चैक के माध्यम से भेज सकते हो। तुम्हें विग्रह के लिए और कोई धन खर्च करने की आवश्यकता नहीं है क्योंकि विग्रह वैसे ही आ रहे हैं--- भारत में सब व्यवस्था हो चुकी है। तुम बस ध्यान रखो कि मंदिर में अर्चना व अन्य चीज़ें नियमित एवं सुचारु रूप से चलती रहें।

आशा करता हूँ कि यह तुम्हें अच्छे स्वास्थ्य में प्राप्त हो।

सर्वदा तुम्हारा शुभाकांक्षी,

(हस्ताक्षरित)

ए. सी. भक्तिवेदान्त स्वामी

एसीबीएस:डी बी

श्रीमन गोपाल कृष्ण दास ब्रह्मचारी
इस्कॉन मंदिर
3720 पार्क एवेन्यू
मॉन्ट्रियल, 130 पी.क्यू
कनाडा