HI/710214 बातचीत - श्रील प्रभुपाद गोरखपुर में अपनी अमृतवाणी व्यक्त करते हैं

HI/Hindi - श्रील प्रभुपाद की अमृत वाणी
"यह एक तथ्य है कि पूरी मानव सभ्यता धोखेबाज और धोखा खाये हुओं का एक समाज है। बस इतना ही। कोई भी क्षेत्र। मयैवा व्यावहारिके (श्री.भा. १२.२.३)। पूरी दुनिया इस कलि-युग में है: मयैवा व्यावहारिके। व्यावहारिके का मतलब है साधारण लेन-देन, धोखा होता है। सामान्यतः धोखा होता है। दैनिक मामले। बहुत महान चीजों की बात नहीं। साधारण लेन-देन, धोखा होता है। यह भागवत में कथित है, मयैवा व्यावहारि। जितनी जल्दी आप इस दृश्य से बाहर निकलते हैं, उतना ही बेहतर है। यह कृष्ण भावनामृत है। इसलिए जब तक आप जीवित हैं, आप बस हरे कृष्ण का जाप करें और कृष्ण की महिमा का प्रचार करें, और बस इतना ही। अन्यथा, आपको पता होना चाहिए कि यह खतरनाक जगह है।"
710214 - सम्भाषण - गोरखपुर