HI/710305 - जननिवास को लिखित पत्र, कलकत्ता

Letter to Jananivasa


त्रिदंडी गोस्वामी

ए.सी. भक्तिवेदांत स्वामी


इस्कॉन- आकाश-गंगा भवन
7 वीं मंजिल
वार्डन रोड
बॉम्बे -26 भारत

5 मार्च, 1971


मेरे प्रिय जननिवास,

कृपया मेरे आशी र्वाद स्वीकार करो। मैं तुम्हारे 13 जनवरी, 1971 के सुन्दर पज्त्र के लिए तुम्हारा धन्यवाद करता हूँ। मैंने इसे ध्यानपूर्वक पढ़ा है। मैं यह जानकर बहुत प्रसन्न हूँ कि कैसे हमारे कोलम्बस केन्द्र की उन्नति हो रही है और प्रचार इतनी अच्छी तरह चल रहा है। यदि तुम मात्र उत्साह व धैर्य से कार्य करो और कृष्ण पर निर्भर रहो, तो वे तुम्हें हमारे कोलम्बस केन्द्र को एक महान सफलता बनाने के लिए सारी सुविधाएं प्रदान करेंगे।

हमारा पुस्तक वितरण कार्यक्रम सर्वाधिक महत्तवपूर्ण कार्य है। हमारी कृष्ण पुस्तक, चैतन्य महाप्रभू की शिक्षाएं, भक्तिरसामृतसिन्धु और भगवद्गीता यथारूप पढ़ने वाला कोई भी व्यक्ति निस्संदेह ही एक कृष्णभावनाभावित व्यक्ति बन जाएगा। इसलिए हमें इस साहित्य वितरण कार्यक्रम को आगे बढ़ाना ही होगा, फिर चाहे वह स्कूलों, कॉलेजों, पुस्तकालयों, लाइफ मेम्बरशिप कार्यक्रम के माध्यम से हो, या सामान्य बिक्री के द्वारा। तुम इतने गुटों इत्यादि के पास जाकर उन्हें हमारे भोज के लिए आमन्त्रित कर रहे हो। साथ ही तुम्हें इन समूहों के साथ बाहरी कार्यक्रमों के आयोजन का भी प्रयास करना चाहिए। ऐसे, खासकर लाइफ मेम्बरशिप कार्यक्रम के माध्यम से, हमें हमारे साहित्य को प्रस्तुत करने के अवसर मिलने में सहायता होगी। यहां भारत में हमारा यही प्रयास रहा है, जो कि अत्यधिक सफल रहा है। इसीप्रकार से तुम वहां पर भी कर सकते हो। तो इस प्रकार से अपना कार्यक्रम बनाओ और मुझे बताओ कि कैसी स्थिति है और तुम्हारी क्या प्रगति हुई।

कृपया वहां अन्य सभी को मेरे आशीर्वाद प्रदान करना। आशा करता हूँ कि यह तुम्हें अच्छे स्वास्थ्य में प्राप्त हो।

सर्वदा तुम्हारा शुभाकांक्षी,

(हस्ताक्षरित)

ए. सी. भक्तिवेदान्त स्वामी

एसीबीएस/एडीबी


श्रीमन् जननिवास दास ब्रह्मचारी
c / o इस्कॉन कोलंबस
318 पूर्व 20 वीं एवेन्यू
कोलंबस, ओहियो 43201 कोलंबस, ओहायो