HI/720425 प्रवचन - श्रील प्रभुपाद टोक्यो में अपनी अमृतवाणी व्यक्त करते हैं

HI/Hindi - श्रील प्रभुपाद की अमृत वाणी
"आज सुबह मैं कृष्ण की लीलाओं को पढ़ रहा था। नियमित रूप से वह सूर्योदय से तीन घंटे पहले उठते थे। नियमित रूप से। उनकी रानियाँ निराश थीं। जैसे ही मुर्गा 'कका-को'! करने लगता, तुरंत कृष्ण... (हँसी) वह चेतावनी है। यह चेतावनी है, प्रकृति की चेतावनी। अलार्म घंटी की कोई आवश्यकता नहीं है। और अलार्म घंटी बजती रहती, लेकिन वह गहरी निद्रा में सोते रहते (हँसी)। और अगर वह संयोग से उठते, तुरंत बंद कर देते ताकि यह परेशान करे..., यह परेशान नहीं करे। लेकिन प्रकृति की संकेतक घंटी है, तीन बजे मुर्गा का कका-को करना। उसके अनुसार... और कृष्ण तुरंत उठेंगे। हालांकि वह अपनी पटरानियों के साथ सो रहे थे... रानियाँ निराश थीं। वे इस मुर्गा के कका-को को कोसते हुए कह रही थीं, 'अब कृष्ण चले जाएंगे। कृष्ण चले जाएंगे'। लेकिन कृष्ण, वह जल्दी उठते थे। आप कृष्ण की लीलाओं को हमारे कृष्ण पुस्तक में पढ़ते हैं।"
720425 - प्रवचन श्री.भा. ०२.०९.१-८ - टोक्यो