HI/731031 प्रवचन - श्रील प्रभुपाद वृंदावन में अपनी अमृतवाणी व्यक्त करते हैं

HI/Hindi - श्रील प्रभुपाद की अमृत वाणी
"हर कोई कुछ अस्थायी कठिनाइयों का हल निकालने की कोशिश कर रहा है - राजनीतिक, सामाजिक, आर्थिक रूप से - लेकिन वास्तविक समाधान, जैसा कि भगवद गीता में कहा गया है, जन्म-मृत्यु-जरा-व्याधि-दुख-दोसानुदरसनं ... (भ.गी. १३.९) जनमा, जन्म, मृत्यु, मृत्यु, और जरा, बुढ़ापा और व्याधि, रोग - इस उलझाव से बाहर निकलने के लिए, दुख-दोसानुदरसन। यह हमारा असली जीवन है। जीवन की दयनीय स्थिति।"

731031 - प्रवचन भ.गी. ०७.०३ - वृंदावन