HI/740306 - ब्रायन फ्लेमिंग को लिखित पत्र, मायापुर
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मायापुर चंद्रोदय मंदिर
श्री धाम मायापुर
नादिया, पश्चिम बंगाल, भारत
6 मार्च, 1974
प्रिय ब्रायन फ्लेमिंग,
कृपया मेरे आशीर्वाद स्वीकार करो। मुझे ग्लास्गौ, स्कॉटलैण्ड से तुम्हारा बिना दिनांक का पत्र मिला है।
तुम लिखते हो कि तुम कृष्णभावनामृत में बहुत लिप्त होते जा रहे हो, लेकिन तुम्हारी पत्नी की इसमें अधिक रुचि नहीं है। और तुम मुझसे यह जानना चाहते हो कि तुम्हें उसका त्याग कर देना चाहिए या नहीं। तुम्हें अपनी पत्नी को त्यागने की आवश्यकता नहीं है। महत्तवपूर्ण बात यह है कि तुम स्वयं कृष्णभावनाभावित बनो, वह तुम्हें किसी भी प्रकार से नहीं रोक सकती, परन्तु तुम्हें कृष्ण के शरणागत होकर भक्तियोग में संलग्न होना होगा। हम नहीं कहते कि किसी को घर छोड़ने की आवश्यकता है। चाहे तुम घर छोड़ो या नहीं, और चाहे तुम्हारी पत्नी कृष्णभावनाभावित बने या नहीं, तुमइस महान आंदोलन में उत्तरोत्तर रुचि व सहभागिता बढ़ाते चलो। समय के साथ-साथ, यदि तुम अपने निश्चय में दृढ़ हो, तो वह भी तुम्हारा अनुसरण कर सकती है। यदि तुम्हारे और प्रश्न हों तो तुम मुझे वे लिख सकते हो अथवा वहां मन्दिर के भक्तों से परामर्श ले सकते हो। वास्तव में मैंने सभी प्रश्नों के उत्तर मेरी पुस्तकों, जैसे भगवद्गीता, में दे दिए हैं। तो कृपया इन्हें पढ़ो और हरे कृष्ण का जप करो।
सर्वदा तुम्हारा शुभाकांक्षी
(अहस्ताक्षरित)
ए.सी.भक्तिवेदान्त स्वामी
एसीबीएस/एसडीजी
श्री ब्रायन फ्लेमिंग 38 एडमॉन्ट सेंट.
ग्लासगो, जी 413 ईएल,
स्कॉटलैंड
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