HI/740407 - हंसदूत को लिखित पत्र, बॉम्बे

Letter to Hansadutta


त्रिदंडी गोस्वामी

ए.सी. भक्तिवेदांत स्वामी

संस्थापक-आचार्य:
अंतर्राष्ट्रीय कृष्णभावनामृत संघ

केन्द्र: हरे कृष्ण लैंड,
गांधी ग्राम रोड,
जुहू, बॉम्बे 54

7 अप्रैल, 1974

प्रिय हंसदूत,

कृपया मेरे आशीर्वाद स्वीकार करो। मुझे प्राप्त हुई सूचनाओं से पता चलता है कि भक्तिवेदान्त मैनर एवं बरी प्लेस लंदन की गितविधियों में गिरावट विकट स्थिति तक पंहुच गई हैं। और इस वजह से मैं तुमसे आग्रह करता हूँ कि तुरन्त वहां जाओ और देखो कि क्या किया जा सकता है।

मुकुन्द ने लिखा कि हाल ही में तीन ब्रह्मचारियों ने मैनर छोड़ दिया और फिर संकीर्तन दल का बल बढ़ाने के लिए उसने रेबतिनंदन महाराज एवं पार्टी व प्रभा विष्णु से भक्तिवेदान्त मैनर में रह जाने के लिए कहा है। माधवानंद, जो कि अभी बम्बई में है ने कहा कि इस प्रकार से अतिरिक्त व्यक्तियों का भक्तिवेदान्त मैवर में रखा जाना ज़रूरी नहीं था और कि आवश्यकता केवल बेहतर संचालन की है और उसे लगता है कि मुकुन्द वह करने में सक्षम नहीं है। अब मुझे एक और रिपोर्ट स्पिरिचुअल स्काई इंग्लैण्ड के पुरञ्जन दास अधिकारी से प्राप्त हुई है और वह कहता है कि हर प्रकार की सहायता की आवश्यकता है, बरी प्लेस मंदिर के किराए के लिए 4,900 पाउंड का एक बिल प्रस्तुत किया गया है। और वह चेतावनी दे रहा है कि लंदन व हर्टफोर्डशाइर मंदिर आध्यात्मिक व आर्थिक संकट में हैं।

इसलिए मैं तुमसे आग्रह कर रहा हूँ कि तुरन्त वहां जाओ और अपना पूरा प्रयास करो कि स्थित में सुधार आए। वहां उपस्थित भक्तों ने भी तुम्हारे आने का अनुरोध किया है तो वे अवश्य ही तुम्हारे निर्णयों पर विश्वास करेंगे। मैं स्वयं मई के दूसरे सप्ताह में पैरिस जाने की योजना बना रहा हूँ। तो उस समय हम मिलकर चर्चा कर सकते हैं कि किस प्रकार से इन मामलों का निबटारा किया जाए। यदि मात्र हमारे मन्दिरों का पोषण भी नहीं हो सकता तो यह हमारे संघ की एक भारी कमी है। और साथ ही मुझसे भी यह उम्मीद नहीं रखी जा सकती कि इन मामलों का निबटारा भी करता रहूँ और अपनी पुस्तकों के अनुवाद में भी पूरा ध्यान केंद्रित करूं।

मुकुन्द व माधवानंद के बीच विरोधी गुट हैं और वे आपस में सामंजस्य के साथ काम नहीं कर सकते। और श्यामसुंदर तो मौजूद ही नहीं है। तो तुरंत जाओ और आवश्यक कदम उठाओ। तुम मार्च के दूसरे सप्ताह तक, जब मैं पैरिस के लिए निकल रहा हूँ, मुझे बम्बई में लिख सकते हो। उस समय मेरी मंशा जेनेवा, रोम व स्वीडन जाने की भी है और मैं प्रत्येक स्थान पर 4 या 5 दिन से अधिक नहीं रुकुंगा। इसके पश्चात मैं जर्मनी जाऊंगा और 3 या 4 नगरों का भ्रमण करूमगा। एक मि. हांस-वर्नर अर्डमन, डी 8011 बल्डहम बेई मुन्चन, फिक्टनस्ट्रेब 11 से मुझे बम्बई में मिले और मेरे जर्मनी आने के संदर्भ में बहुत उत्साहित थे। उन्होंने शिखा रखी हुई थी और वे बोले कि वे मेरी यात्रा टिकटों व प्रभावशाली व्यक्तित्वों से भेंट कराने के सारे इंतज़ाम वे करेंगे। तुम उनसे संपर्क कर सकते हो और यदि वे गंभीर हैं तो साथ में मिलकर मेरे जर्मनी यात्रा की योजना बना सकते हो।

सर्वदा तुम्हारा शुभाकांक्षी,

(हस्ताक्षरित)

ए.सी.भक्तिवेदान्त स्वामी

एसीबीएस/एसडीजी

इस्कॉन हैम्बर्ग
2 हैम्बर्ग 54, कपिटेलबसचवेग 20, पश्चिम जर्मनी

N.B. मि. अर्डमन का फोन नं हैः टेलेफॉन साम्मेल – Nr 08106/8596