HI/750726 प्रवचन - श्रील प्रभुपाद लगूना बीच में अपनी अमृतवाणी व्यक्त करते हैं

HI/Hindi - श्रील प्रभुपाद की अमृत वाणी
"यदि आपको आपके गंतव्य की जानकारी नहीं है और आप अपनी कार को पूरी गति से चलाने की कोशिश करते हैं, तो इसका परिणाम क्या होगा? आप आपदा का शिकार हो जाएंगे। हमें पता होना चाहिए कि हम क्यों दौड़ रहे हैं। दौड़ने का अर्थ है ... जिस प्रकार नदी महान ज्वार में बह रही है, परंतु उसका गंतव्य समुद्र है। जब नदी समुद्र में आती है, तो उसे उसका गंतव्य मिल जाता है। इसी प्रकार, हमें पता होना चाहिए कि गंतव्य क्या है। गंतव्य है विष्णु, जो भगवान हैं। हम भगवान के हिस्से और अंतरंग भाग हैं। हम किसी न किसी तरह, हम इस भौतिक संसार में गिर गए हैं। इसलिए हमारे जीवन का गंतव्य वापस घर जाना है, पुनः भगवद्धाम लौटना है। यह ही हमारा गंतव्य है। कोई अन्य गंतव्य नहीं है। हमारा कृष्ण भावनामृत आंदोलन यह सिखा रहा है कि 'आप अपने जीवन का लक्ष्य तय कर लें और जीवन का वह लक्ष्य क्या है?' घर वापसी, भगवद्धाम की ओर जाना। आप विपरीत दिशा में, नरक की ओर जा रहे हैं। वह आपकी मंजिल नहीं है। आप भगवद्धाम की ओर वापस जाएं। यह ही हमारा प्रचार है।"
750726 - प्रवचन श्री.भा. ०६.०१.४५ - लगूना बीच