HI/751101b प्रवचन - श्रील प्रभुपाद नैरोबी में अपनी अमृतवाणी व्यक्त करते हैं

HI/Hindi - श्रील प्रभुपाद की अमृत वाणी
"यदि आप केवल कृष्ण के चरण कमलों पर ध्यान केंद्रित करते हैं जैसा कि वर्णन किया गया है- वहां निशान हैं-तो, ऐसी दृष्टि के संपर्क में, आपका ह्रदयान्धकाराम , मलीन चीजें, अंधकारम- अंधकारम का अर्थ है अंधकार या मलीन चीजें-वह आहत, दूर हो जाएगा, समाप्त: "बाहर निकलो!" आहत। ज्योत्स्नाभिर आहत-महद-ध्रदयान्धकारम्। महत् का अर्थ है बहुत महान। यह हमारी भौतिक स्थिति है, कि हम इतने अंधकार में ढके हुए हैं, लीन हैं, और फिर भी हम कुछ बुद्धिमत्ता दिखाना चाहते हैं। यह है भौतिक अस्तित्व। इसलिए हम हमेशा कहते हैं "मूर्ख और दुष्ट।"
751101 - प्रवचन श्री. भा. ०३.२८.२९ - नैरोबी