HI/760921 प्रवचन - श्रील प्रभुपाद वृंदावन में अपनी अमृतवाणी व्यक्त करते हैं

HI/Hindi - श्रील प्रभुपाद की अमृत वाणी
"इस भौतिक जगत में, इस ब्रह्मांड में, आदि-कवी। तेने ब्रह्मा हर्दा आदि-कवये (श्री.भा. ०१.०१.०१)। तो वह आदि है, मूल, सर्वप्रथम सृजत जीव। फिर उसका आदि कौन है? ब्रह्म का सृजन कहाँ से हुआ? वह कृष्ण है। तेने ब्रह्मा हर्दा आदि-कवये। तो इस तरह से जब आप कृष्ण की परिचय पर आते हैं, बनाते हुए... ब्रह्म का सृजन विष्णु से हुआ, गर्भोदकशायी विष्णु। स्वयंभू: उनका जन्म कमल के फूल से हुआ। वह गर्भोदकशायी विष्णु, कार्णोधाक्शायी विष्णु से आ रहे हैं। और कार्णोधाक्शायी विष्णु संकर्षण से आ रहे हैं। संकर्षण अनिरुद्ध से आ रहे हैं, अनिरुद्ध प्रद्युम्न से, इस तरह। अन्ततोगत्वा-कृष्णा। अतः कृष्ण आद्यं हैं। कृष्ण भगवद-गीता में कहते हैं, मत्तः परतरं नान्यत (भ.गी. ०७.०७)। और कुछ नहीं है। तो वह ईश्वर है।"
760921 - प्रवचन श्री.भा ०१.०७.२४ - वृंदावन