HI/770331 - लीलावती को लिखित पत्र, बॉम्बे

Letter to Lilavati



31 मार्च, 1977


भक्तिवेदान्त मैनर


मेरी प्रिय लीलावती,

कृपया मेरे आशीर्वाद स्वीकार करो। दिनांक 3 दिसम्बर, 1976 के तुम्हारे पत्र, जिसके साथ संलग्न पांडुलिपि भी थी, के लिए मैं तुम्हारा धन्यवाद करता हूँ। मुझतक पंहुचने में तुम्हारे पत्र ने बहुत ही अधिक समय लिया है।

हमारे साहित्य कोई भावुकता पूर्ण कहानियां नहीं हैं। ये बुद्धिमान श्रेणी के लोगों द्वारा समझे जाने के लिए है। जो बच्चे हैं या जिनकी मानसिकता में बचपना है, उनके लिए यही बेहतर होगा कि वे “हरे कृष्ण” का जप करें व प्रसाद ग्रहण करें। उसे रुचिकर बनाने के लिए, हम दर्शन को पानी मिला कर हल्का नहीं कर सकते हैं। हमारी पुस्तके वैसी ही बनी रहनी चाहिएं जैसी वे हैं। ऐसी कोशिशों में अपना और समय व्यर्थ मत करना। हम ये सब नहीं छापने वाले। जो भी पुस्तकें हमारे पास हैं, इन लोगों को उन्हें समझने का प्रयास करने दो। और यदि वे नहीं समझ पाते हैं, तो ”हरे कृष्ण” जप व प्रसाद ग्रहण करने दो।

आशा है कि यह तुम्हें और तुम्हारे पति को अच्छी अवस्था में प्राप्त होगा।

सर्वदा तुम्हारा शुभाकांक्षी

(हस्ताक्षरित)

ए.सी.भक्तिवेदान्त स्वामी