HI/Prabhupada 0171 - भूल जाओ अच्छी सरकार लाखों वर्षों के लिए, जब तक...



Lecture on SB 1.2.28-29 -- Vrndavana, November 8, 1972

तो इस वर्णाश्रम के अनुसार, प्रशिक्षण होना चाहिए । पुरुषों के कुछ वर्गों को अच्छे ब्राह्मणों के रूप में प्रशिक्षित किया जाना चाहिए । कुछ लोगों को अच्छे क्षत्रियों के रूप में प्रशिक्षित किया जाना चाहिए । कुछ लोगों को अच्छे वैश्यों के रूप में प्रशिक्षित किया जाना चाहिए । और शूद्रों को आवश्यकता नहीं है... हर कोई शूद्र है । जन्मना जायते शूद्र: । जन्म से, हर कोई शूद्र है । संस्काराद् भवेद् द्विज: । प्रशिक्षण के द्वारा, एक व्यक्ति वैश्य बनता है, एक व्यक्ति क्षत्रिय बनता है, एक व्यक्ति ब्राह्मण बनता है । यह प्रशिक्षण कहाँ है ? सभी शूद्र हैं । और आप कैसे अच्छी सरकार की उम्मीद कर सकते हैं, शूद्रों की सरकार ? सभी शूद्र वोट ले रहे हैं एेसे या वैसे । और वे सरकारी पद प्राप्त कर रहे हैं ।

इसलिए उनका एकमात्र कार्य है... कलि, विशेष रूप से इस युग में, म्लेश राजन्य-रूपिण: खाना और पीना, मांस खाना, शराब पीना । म्लेच्छ, यवन, वे सरकारी पद स्वीकार कर रहे हैं ।आप कैसे अच्छी सरकार की उम्मीद कर सकते हैं  ? भूल जाओ, भूल जाओ अच्छी सरकार लाखों वर्षों के लिए, जब तक कि आप इस वर्णाश्रम-धर्म को स्थापित न करें । अच्छी सरकार का कोई प्रश्न ही नहीं है । प्रथम श्रेणी के क्षत्रिय होने चाहिए जो सरकार की ज़िम्मेदारी ले सकें । परिक्षित महाराज की तरह । वह अपने दौरे पर थे और जैसे ही उन्होंने देखा कि एक काला व्यक्ति एक गाय को मारने का प्रयास कर रहा था , तुरंत उन्होंने अपनी तलवार उठा ली: "तुम कौन हो, बदमाश, यहाँ?" यह है क्षत्रिय । वह वैश्य है जो गायों को संरक्षण दे सके । कृषि-गो-रक्षा-वाणिज्यम् वैश्य-कर्म स्वभाव-जम् (भ गी १८.४४) । सब कुछ साफ़-साफ़ दिया गया है । संस्कृति कहाँ है  ?

इसलिए यह कृष्णभावनामृत आंदोलन इतना महत्वपूर्ण है । समाज के नेताओं, उन्हें बहुत गंभीरतापूर्वक ध्यान रखना चाहिए कैसे आप इस संसार की सामाजिक स्थिति में सुधार कर सकते हैं । यहाँ ही नहीं, हर जगह, महोदय । बस चल रहा है अज्ञान और भ्रम में, सब कुछ । अस्पष्ट, कोई स्पष्ट विचार नहीं है । यहाँ स्पष्ट विचार है: वासुदेव परा वेदा: (श्रीमद भागवतम १.२.२८-२९) । वेद, ज्ञान, आप लोगों को शिक्षित कर रहे हैं, लेकिन आपकी शिक्षा कहाँ है लोगों को वासुदेव के बारे में सिखाने के लिए, कृष्ण के बारे में ? भगवद गीता निषिद्ध है । वासुदेव स्वयं के विषय में बोल रहे हैं, लेकिन यह निषिद्ध है । अौर अगर कोई पढ़ भी रहा है, कोई बदमाश पढ़ रहा है, वह वासुदेव को हटा रहा है । बस यही चल रहा है । भगवद गीता बिना कृष्ण के । यह चल रहा है । पूरा बकवास । आप मानव सभ्यता की उम्मीद नहीं कर सकते हैं एक बकवास समाज में । यहाँ है मानव जीवन का वास्तविक उद्देश्य: वासुदेव परा वेदा वासुदेव परा मखा:, वासुदेव परा योगा: (श्रीमद भागवतम १.२.२८-२९)। इतने सारे योगी हैं । मैं स्पष्ट रूप से कह सकता हूँ, कि वासुदेव के बिना, योग केवल नाक दबाना है । बस । यह योग नहीं है ।