HI/Prabhupada 0341 - जो बुद्धिमान है , वह इस प्रक्रिया को लेगा



Lecture on BG 9.1 -- Melbourne, June 29, 1974

प्रभुपाद: हम्म ?

मधुद्विष: वह पूछ रहे है कि वह कौन-सा ज्ञान है जो श्रीकृष्ण ने अर्जुन को प्रकाशित किया ।

प्रभुपादः हाँ । कृष्ण ने कहा, "तुम दुष्ट, मुझको आत्मसमर्पण करो । " तुम सब दुष्ट, तुम कृष्ण को समर्पण करो । फिर तुम्हारा जीवन सफल हो जाएगा । यह कृष्ण की शिक्षा का सार है ।

सर्व धर्मान् परित्यज्य
माम् एकम् शरणम् व्रज
(भ.गी. १८.६६) ।

कृष्ण केवल अर्जुन से नहीं कह रहे हैं । वे हम सभी दुष्टों से कह रहे हैं कि, "तुम खुश होने के लिए इतनी सारी चीज़ों का निर्माण कर रहे हो । तुम कभी खुश नहीं हो सकते, आश्वासन ले लो । लेकिन तुम आत्मसमर्पण करो, और मैं तम्हें खुश कर दूँगा । यह कृष्ण भावनामृत है, बस । एक वाक्य । तो जो बुद्धिमान है, वह इस प्रक्रिया को अपनाएगा । कि, "मैंने खुश होने के लिए अपनी पूरी कोशिश की, लेकिन सब कुछ विफल है । अब मुझे कृष्ण को आत्मसमर्पण करने दो ।" बस ।